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आशीर्वचन
आगम के व्याख्या साहित्य में नियुक्ति का स्थान सर्वोपरि है। नियुक्तियों की रचना-शैली अद्भुत है। थोड़े में बहुत कहा गया है। उसके आधार पर विशालकाय टीकाओं का निर्माण हुआ है।
समणी कुसुमप्रज्ञा ने आवश्यक नियुक्ति के पाठ का व्याख्या ग्रंथों और प्राचीन प्रतियों के आधार पर निर्धारण किया है। यह दुष्कर कार्य है फिर भी उन्होंने निष्ठा से इस कार्य का संपादन किया है। इस कार्य में निष्ठा के साथ उनका श्रम भी बोल रहा है। भविष्य में अन्य नियुक्तियों के संपादन में भी वह अपनी शक्ति का नियोजन करती रहे।
आचार्य महाप्रज्ञ
बीदासर १२.०९.२००१
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