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परि. ३: कथाएं
आजीविका के लिए लकड़ियों का गट्ठर लाती, बेचती और जीवन चलाती थी। लोग मेरी निंदा करेंगे, इस भय से वह एक दिन अपने पुत्र को लेकर अन्यत्र चली गई। लड़का जब बड़ा हुआ तो उसने अपनी मां से पूछा- 'मेरे पिता कहां हैं?' मां बोली-'तुम्हारे पिता स्वर्गस्थ हो गए हैं।' उसने पुनः पूछा-'मां! वे अपनी आजीविका कैसे चलाते थे?' मां बोली- 'बेटे ! वे दूसरों की सेवा करते थे।' पुत्र ने मां से कहा'मैं भी सेवक बनूंगा।' मां बोली- 'वत्स! तुम नहीं जानते कि सेवा कैसे की जाती है? सेवक कैसे बना जाता है ? यदि तुम विनय करोगे तो तुम भी सेवा कर सकते हो?' पुत्र ने पूछा- 'कैसा विनय करूं?' मां ने कहा- 'वत्स! सुनो, स्वामी की जय-जयकार करना, उनको बड़ा मानना, स्वयं को नीचा मानना तथा उनकी इच्छानुकूल कार्य करना विनय है।'
बेटे ने मां की बात सुनी और वह सेवक बनने की धुन में एक नगर की ओर चल पड़ा। मार्ग में उसने देखा कि एक स्थान पर अनेक शिकारी मृगों को पकड़ने के लिए छुप कर बैठे हैं। उसने बाढस्वर से उनका जय-जयकार किया। उसके शब्दों को सुनकर सारे मृग पलायन कर गए। शिकारी बाहर आए और उसको पीटने लगे। उसने यथार्थ रूप से सारी बात बता दी। शिकारी बोले- 'देखो, जब तुम्हें ऐसा अवसर प्राप्त हो तो तुमको धीरे-धीरे छुपते हुए जाना चाहिए, जोर से नहीं बोलना चाहिए। यदि कुछ कहना ही हो तो धीरे बोलना चाहिए।'
वह आगे बढ़ा। एक स्थान पर उसने धोबियों को कपड़े धोते देखा। उनको देखते ही वह छुपते हुए धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए चलने लगा। उन रजकों के वस्त्र कभी-कभी चोरी हो जाते थे। वे अपने स्थान को सीमाबद्ध कर वस्त्रों की रक्षा करते थे। उन्होंने जब इसको धीरे-धीरे, छुपते-छुपते आते देखा तो उन्हें चोर की आशंका हुई। वे आए और उसे चोर समझकर बांध कर पीटा। उसने गिड़गिड़ाते हुए उन्हें वस्तुस्थिति बतलाई। उन्होंने उसे बंधनमुक्त कर दिया और शिक्षा देते हुए कहा-'ऐसे अवसरों पर कहना चाहिए कि शुद्ध हो जाए, रिक्त हो जाए।' .
आगे चलते हुए उसने देखा कि अनेक कृषक बीज बो रहे थे। उन्हें देखकर वह बोला- 'शुद्ध हो जाए, रिक्त हो जाए।' यह सुनकर कृषकों ने उसे पकड़ कर पीटा। यथार्थ बात कहने पर उसे मुक्त करते हुए उन्होंने कहा- “ऐसे अवसरों पर यह कहना चाहिए कि ऐसे बहुत हो, सारी गाड़ी भर जाए।'
आगे चलने पर उसने देखा कि अनेक व्यक्ति एक मृतक को उठा कर ले जा रहे थे। उनके पास जाकर वह बोला- “ऐसे बहुत हों, इससे सारी गाड़ी भर जाए।' यह सुनकर उन लोगों ने उसे खूब पीटा। यथार्थ बात कहने पर लोगों ने उसे छोड़ दिया और समझाया कि ऐसी स्थिति पर यह कहो कि ऐसे अवसरों का अत्यंत वियोग होना चाहिए।
आगे बढ़ने पर उसे एक विवाह की टोली मिली। उसने उस टोली को देखते ही कहा–'ऐसे अवसरों का अत्यंत वियोग होना चाहिए।' ऐसे अशुभ शब्दों को सुनकर लोगों ने उसे पीटा। रोते-रोते उसने सही बात बताई। उन्होंने कहा- 'ऐसे शुभ अवसरों पर अशुभ वचन नहीं बोलने चाहिए। इस स्थिति में कहना चाहिए कि ऐसा अवसर बार-बार देखने को मिले तथा यह स्थिति सदा बनी रहे।'
__वह आगे बढ़ा। मार्ग में आरक्षिक पुरुष एक कैदी को सांकल से बांधकर ले जा रहे थे। उसको
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