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परि. ३ : कथाएं ६२. सिद्धार्थ और अच्छंदक। ६३. वस्त्र का परित्याग (२)। ६४. दृष्टिविष सर्प का उपद्रव और उसको प्रतिबोध । ६५. नागसेन द्वारा भिक्षा-दान। ६६. नौका में नागकुमार का उपद्रव। ६७. कंबल-संबल देव की उत्पत्ति । ६८. महावीर का चक्रवर्तित्व। ६९. गोशालक की कुचेष्टाएं। ७०. कर्मकर द्वारा प्रहार। ७१. कटपूतना का उपद्रव । ७२. गोशालक का पुनः आगमन। ७३. बालतपस्वी वैश्यायन। ७४. गोशालक और वैश्यायन। ७५. गोशालक द्वारा नियतिवाद का ग्रहण। ७६. भगवान् की नौका-यात्रा। ७७. आनन्द श्रावक को अवधिज्ञान। ७८ प्रतिमाओं की विशिष्ट साधना एवं पारणा। ७९. संगम देव द्वारा बीस मारणांतिक कष्ट। ८०. संगम देव के अन्य उपद्रव । ८१. इंद्रों द्वारा भगवान् की अर्चा एवं अन्य उपद्रव। ८२. चंदनबाला का उद्धार । ८३. भगवान् का सुमंगला आदि ग्रामों में आगमन। ८४. यक्षों द्वारा प्रश्न तथा इंद्र द्वारा कैवल्य की
पूर्वसूचना। ८५. ग्वाले द्वारा कान में शलाका ठोकना। ८६. महावीर को कैवल्य-प्राप्ति। ८७. वृद्धा दासी और वणिक्। ८८. विनय और अविनय का फल। ८९. आचार्य द्वारा वैयावत्य का प्रतिबोध (मरुक और
वानर)। ९०. राग से होने वाला आयुष्य-भेद । ९१. स्नेह से आयुष्य-भेद। ९२. भय से आयुष्य-भेद (सोमिल ब्राह्मण)।
९३. त्वक् विष से आयुष्य-भेद। ९४. आचार्य वज्र का इतिवृत्त। ९५. आर्य वज्र का भक्तप्रत्याख्यान। ९६. दशपुर नगर की उत्पत्ति । ९७. आर्यरक्षित ९८. आनन्द श्रावक ९९. कामदेव श्रावक १००. वल्कलचीरी १०१. अनुकम्पा से सामायिक की प्राप्ति। १०२. अकामनिर्जरा से सामायिक की प्राप्ति। १०३. बाल-तपस्या से सामायिक की प्राप्ति । (इन्द्रनाग) १०४. दान से सामायिक की प्राप्ति। (कृतपुण्य) १०५. विनय से सामायिक की प्राप्ति । (पुष्पशालसुत) १०६. विभंगज्ञान से सामायिक की प्राप्ति । (शिवऋषि) १०७. संयोग-वियोग से सामायिक की प्राप्ति। १०८. व्यसन (कष्ट) से सामायिक की प्राप्ति। १०९. उत्सव से सामायिक की प्राप्ति। ११०. ऋद्धि से सामायिक की प्राप्ति। (दशार्णभद्र) १११. सत्कार से सामायिक की प्राप्ति। (इलापत्र) ११२. दमदन्त अनगार। ११३. मुनि मेतार्य ११४. कालकाचार्य से पृच्छा। ११५. चिलातक और सुंषुमा ११६. संक्षेप का उदाहरण। ११७. धर्मरुचि। ११८. तेतलिपुत्र। ११९. द्रव्य नमस्कार का फल। १२०. अटवी में मार्गदर्शक। १२१. अप्रशस्त राग (अर्हन्मित्र) १२२. अप्रशस्त द्वेष (नाविक नंद और साध) १२३. परशुराम १२४. सुभूम। १२५. पांडु आर्या
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