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________________ २४२ आवश्यक नियुक्ति संसार से पार लगाने वाली धर्मश्रुति को प्राप्त नहीं कर पाता। ५४४. जो योद्धा यान, आवरण (कवच आदि) प्रहरण, युद्धकौशल, नीति, दक्षता, व्यवसाय (शौर्य), अविकल शरीर तथा आरोग्यता को प्राप्त है, वही युद्ध में विजय प्राप्त कर सकता है। ५४५. बोधि (सामायिक) की प्राप्ति के ये उपाय हैं१. देखने से ४. कर्मों के क्षय से २. सुनने से ५. उपशम से ३. अनुभूति से ६. प्रशस्त मन-वचन और काय के योग से। ५४६. अथवा बोधि-प्राप्ति (सामायिक-प्राप्ति) के ये निमित्त हैं१. अनुकंपा ७. संयोग-विप्रयोग २. अकामनिर्जरा ८. व्यसन-कष्ट ३. बालतप ९. उत्सव ४. दान १०. ऋद्धि ५. विनय ११. सत्कार। ६. विभंग अज्ञान ५४७. इन ग्यारह निमित्तों के क्रमश: ये उदाहरण हैं१. वैद्य ७. मथुरावासी दो वणिक् भाई१५ २. महावत ८. दो भाई१६ ३. इन्द्रनाग ९. आभीर ४. कृतपुण्य १०. दशार्णभद्र ५. पुष्पशालसुत३ ११. इलापुत्र ६. शिव ऋषि ५४७/१. उस वानरयूथपति ने जंगल में सुविहित मुनि की अनुकंपा की। वह मरकर प्रकाश शरीर को धारण करने वाला वैमानिक देव बना। १. चूर्णिकार ने यान, आवरण आदि को कर्मरिपु को जीतने के लिए रूपक के रूप में प्रस्तुत किया है। इन सबके विस्तार हेतु देखें आवचू. १ पृ. ४५२।। दृष्ट-श्रेयांस ने भगवान् ऋषभ के दर्शन से बोधि प्राप्त की। श्रुत-आनंद और कामदेव ने सुनकर बोधि प्राप्त की। अनुभूत-वल्कलचीरी को पिता के उपकरणों की प्रत्युप्रेक्षा से बोधि की प्राप्ति हुई। क्षय-कर्मों के क्षय से प्राप्त बोधि, जैसे-चंडकौशिक। उपशम-कर्मों के उपशम से प्राप्त बोधि, जैसे-अंगिऋषि। ३-१९. देखें परि. ३ कथाएं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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