________________
१४४
आवश्यक नियुक्ति
६१५/१.
६१६.
नामं ठवणा दविए, भावम्मि चउव्विधो उ आयरिओ। दव्वम्मि एगभवियादि, लोइए सिप्पसत्थाइ ।। पंचविधं आयारं, आयरमाणा तहा पभासेंता। आयारं दंसेंता', आयरिया तेण वुच्चंति ॥ आयारो नाणादी, तस्सायरणा पभासणाओ' वा। जे ते भावायरिया, भावायारोवउत्ता य॥ आयरियनमोक्कारो, जीवं मोएति भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो, 'होई पुण'१० बोधिलाभाए ॥ आयरियनमोक्कारो, धण्णाण भवक्खयं कुणंताणं । हिययं अणुम्मुयंतोर, विसोत्तियावारओ होति ॥ आयरियनमोक्कारो, एवं खलु वण्णितो महत्थो त्ति। जो मरणम्मि उवग्गे, अभिक्खणं कीरए बहुसो २ ॥ आयरियनमोक्कारो,
सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, ततियं हवइ मंगलं ॥ नाम ठवणा दविए, भावम्मि५ चउव्विधो उवज्झाओ। दव्वे 'लोइयसिप्पादि, निण्हगा वा इमे भावे १६ ॥
१. भावे य (स्वो, महे )।
है। इस गाथा के प्रारंभ में हरिभद्र एवं मलयगिरि 'अमुमेवार्थं २. य (महे)।
स्पष्टयन्नाह' का उल्लेख करते हैं। ३. 'थाई (ब, हा, दी, रा), स्वो ६९८/३८९५ ।
१०. होति पुणो (म, स्वो ३९०२), सर्वत्र । ४. पगासंता (म), य भासेंता (स्वो), पयासेंता (महे)।
११. करेंताणं (म, स्वो ३९०३), सर्वत्र। ५. देसंता (स्वो)।
१२. अमुच्चमाणो (स)। ६. स्वो ६९९/३८९६, मू. तु. ५१०,चूर्णि में ६१५, ६१५/१ इन दोनों १३. स्वो ३९०४॥ गाथाओं का संकेत नहीं है पर संक्षिप्त व्याख्या है।
१४. स्वो ३९०५,मुद्रित महे में ये चारों गाथाएं (६१७-२०) नहीं हैं ७. पयास (स)।
केवल 'आयरिया इत्यादिचतस्रो नियुक्तिगाथाः ८. स्वो और महे में इस गाथा का पूर्वार्द्ध इस प्रकार है
प्रागुक्तानुसारेण व्याख्येया' का उल्लेख है। हा में भी तस्सायरण पभासण, देसणतो देसिता विमोक्खत्थं (स्वो ७००/३९००),
'आयरियनमोक्कारो इत्यादिगाथाप्रपञ्चः सामान्येनाहन्नमस्कारातस्सायरण पभासण, दंसणओ देसिया विमोक्खत्थं (महे ३१९४)।
दवसेयः' (हाटी पृ. २९९) का उल्लेख है। चूर्णि में इन गाथाओं ९. यह गाथा मुद्रित हा, दी, म और स्वो में निगा के क्रमांक में
का संकेत नहीं है। स प्रति के अतिरिक्त सभी हस्तप्रतियों में इन है। चूर्णि में इस गाथा की व्याख्या एवं संकेत नहीं है । मुद्रित महे गाथाओं का संकेत है पर पूरी गाथा नहीं है। में यह गाथा भागा के क्रम में है। यह गाथा निगा की न होकर १५. भावे य (स्वो महे)। भाष्य की होनी चाहिए क्योंकि यह ६१६ वीं गाथा की व्याख्या रूप १६. "सिप्पा धम्मे तह अन्नतित्थीया (महे ३१९६, स्वो ७०१/३९०७)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org