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________________ ७४ आवश्यक नियुक्ति २३८. २४२. संती कुंथू य अरो, अरहंता चेव चक्कवट्टी य। 'अर-मल्लि-अंतरे पुण", हवति सुभूमोरे य कोरव्वो ॥ मुणिसुव्वते नमिम्मि य, होति दुवे पउमनाभ-हरिसेणा। नमि-नेमिसु जयनामो, अरिट्ठपासंतरे बंभो ॥ पंचऽरहंते, वंदंति", केसवा पंच आणुपुव्वीए। सेजंस तिविट्ठादी, धम्मपुरिस सीहपेरंता ॥ अर-मल्लिअंतरे दोण्णि, केसवा पुरिसपोंडरियदत्ता। मुणिसुव्वयणमिअंतरि, नारायण ‘कण्ह-नेमिंसि' ॥ चक्किद्गं हरिपणगं, पणगं चक्कीण केसवो चक्की। केसव चक्की केसव, दुचक्कि केसी य चक्की य॥ तत्थ मरीईनाम, आदिपरिव्वायगो उसभनत्ता'२ । सज्झायझाणजुत्तो३, एगंते झायइ महप्पा॥ तं दाएति जिणिंदो, एव नरिंदेण पुच्छिओ संतो। धम्मवरचक्कवट्टी, अपच्छिमो वीरनामो त्ति५ ।। आदिगरु१६ दसाराणं, तिविट्ठनामेण७ पोयणाहिवई। पियमित्तचक्कवट्टी, मूयाइ विदेहवासम्मि८ ॥ तं वयणं सोऊणं, राया अंचियतणूरुहसरीरो'९ । अभिवंदिऊण२० पियरं, मरीइमभिवंदओ२९ जाति२२ ॥ २४३. २४४. २४५. २४६. १. "मल्ली अंतरे उ (हा, दी), 'मल्लिअंतरम्मि य (स्वो)। २. सुभुम्मो (स्वो)। ३. स्वो १७५२। ४. रिट्ठ (स)। ५. २३८, २३९---ये दोनों गाथाएं विभा में भाष्य गाथा (को १७६५, १७६६, स्वो १७५२, १७५३) के क्रम में हैं किन्तु ये नियुक्तिगाथाएं होनी चाहिए क्योंकि २३७ की नियुक्ति गाथा से ही ये दोनों गाथाएं जुड़ी हुई हैं। ६. "रिहंते (हा, अ)। ७. वंदिति (ब), वंदंसु (अपा, लापा, हाटीपा, मटीपा)। ८. स्वो ३०१/१७५९, यह गाथा चूर्णि तथा भाष्य में अट्ठव गया... २३६/२६ के बाद में है। किन्तु हमने टीका एवं हस्तप्रतियों का क्रम स्वीकृत किया है। ९. कण्हु नेमिम्मि (ब, म, स, दी), कण्हो मिम्मि (स्वो ३०२/१७६०)। १०. स्वो ३०३/१७६६, इस गाथा के बाद प्रायः सभी प्रतियों में मूलभाष्य की अह भणइ....(हाटीमूभा. ४४, स्वो १७६७, को १७८०) गाथा मिलती है। ११. "नामा (ब, म, हा, दी, ला)। १२. दत्ता (अ, ला, रा)। १३. जुओ (म)। १४. अच्छति (स्वो ३०४/१७६८)। १५. स्वो ३०५/१७६९। १६. गरो (चू)। १७. तिविट्ठ (ब, हा, दी)। १८. स्वो ३०६/१७७०, द्र. टिप्पण (२४८/१)। १९. इंचिय (अ)। २०. आपुच्छितूण (स्वो)। २१. मभिवंदिउं (रा, लापा, बपा, हाटीपा, मटीपा)। २२. स्वो ३०७/१७७१। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001927
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages592
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_aavashyak
File Size11 MB
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