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________________ क्रियाकोष छन्द त्रिभंगी अष्टानिका धारण सोलह कारण व्रत दस लक्षण रतनत्रयं, शुभ लबधि विधानं अखय निधानं मेघ सु माला षटरसियं । ज्येष्ठादिक जिनवर रस पाख्यावर ग्यान पचीसी अखय दसै, समवादिक सरणं व्रत सुखकरणं सुभ पंचमी आकास लसै ॥ १९०३ ॥ निरदोष सप्तमी सुगंध दसमी चन्दन छठि बारसि श्रवणं, किरिया त्रेपन मिति जिनगुण संपति पैतीसी नवकार मनं । चौदसि जु अनंतं पंचमि सेतं सीलकल्यानक सील व्रतं, सुरपद सुख शीला नक्षत्रमाला तिहु चौबीसी वरत मनं ॥ १९०४ ॥ सरवारथ सिद्धं दायक रिद्धं श्रुतस्कंधं सुखदायक ही, जिनमुख अवलोकन बारा व्रत गनि सुखसंपति लघु वृद्धि कही । सुभकर एकावलि दुतिय दुकावलि रतनावलि नवकार लियं, लहुरी मुकतावलि सुरसुख आवलि मुकुट सपतमी विसुद्धि कियं ॥ १९०५॥ नंदीसुर पंकति धरमचक्र मिति द्वय मृदंगमधि लघु परिमं, मुक्तावलि वृद्धि दोतसमृद्धि भावन पंचमि व्रत धरमं । नवनिधि श्रुतग्यानं वरत विधानं हरिनिःक्रीडित तप चरियं, अतिसय चौतीसी संवरतगरीसम बारा सौ चौतीस लयं ॥। १९०६ || गुन श्री अरहंतं सिद्ध महंतं छह चालीस रु आठ सुनं, गुन सूरि छतीसं अरु पच्चीसं उपाध्याय सुखदाय सुखं । आष्टाह्निक व्रत, सोलह कारण व्रत, दश लक्षण व्रत, रत्नत्रय व्रत, लब्धि विधान व्रत, अक्षय निधान व्रत, मेघमाला व्रत, षड्रस त्याग व्रत, ज्येष्ठ जिनवर व्रत, रस पाख्या व्रत, ज्ञान पच्चीसी व्रत, अक्षय दशमी व्रत, समवसरण व्रत, आकाशपंचमी व्रत, निर्दोष सप्तमी व्रत, सुगन्ध दशमी व्रत, चन्दन षष्ठी व्रत, श्रवण द्वादशी व्रत, त्रेपन क्रिया व्रत, जिन गुण संपत्ति व्रत, पैतीसी नवकार व्रत, अनन्त चतुर्दशी व्रत, शुक्ल पंचमी व्रत, शील कल्याणक व्रत, शील व्रत, नक्षत्रमाला व्रत, तीन चौबीसी व्रत, सर्वार्थसिद्धि व्रत, श्रुतस्कन्ध व्रत, जिनमुखावलोकन व्रत, बारा व्रत, लघु सुख संपत्ति व्रत, बड़ी सुख संपत्ति व्रत, एकावली व्रत, द्विकावली व्रत, रत्नावली व्रत, नवकार व्रत, लघुमुक्तावली व्रत, कनकावली व्रत, मुकुट सप्तमी व्रत, नन्दीश्वर पंक्ति व्रत, धर्मचक्र व्रत, लघु मृदंग मध्य व्रत, बड़ा मृदंग मध्य व्रत, बड़ी मुक्तावली व्रत, भावना पच्चीसी नवनिधि व्रत, श्रुतज्ञान व्रत, सिंहनिष्क्रीडित व्रत, तपश्चरण व्रत, अतिशय चौंतीसी व्रत, बारा सौ चौंतीसी व्रत, पंच परमेष्ठी गुणव्रतके अन्तर्गत अरहन्तके ४६ गुण, सिद्धके ८ गुण, व्रत, Jain Education International ३०७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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