SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रियाकोष ३०१ वदि भादों जिन शांति गरभ सातै माता उर, सुदि छठि गरभ सुपास अष्टमी मोक्ष सुविधि पर; वासुपूज्य निर्वाण चतुर्दशि भादों जाणो, वदि दोयज आसोज गरभ नमि जिनवर मानो; लहि मोक्ष नेमि एकै सुकल, आठै शीतल शिव गये । दुह मास मांहि दिन सातमैं, कल्याणक सातहि भये ॥१८७९॥ गरभ अनन्त जिनेश प्रतिपदा कातिक करियो, संभव केवल चौथ त्रयोदसि पद्म जनम लियो; तप पुनि तेरसि पद्म मोक्ष सनमति जु अमावस, सुविधि ज्ञान सित बीज नेमि छठि मात गरभ वस; अरनाथ चतुष्टय विधि हणिवि, केवलज्ञान उपानियो । दिन सात कल्याणक आठ सब काती मांहि सुजानियो ।।१८८०॥ सन्मति तप वदि दसें सुविधि सुदि एकें तप गन, पुहुपदंत नम जनम दसम तप अरहनाथ भन; मल्लिजनमतपज्ञान कल्याणक लिहु सित ग्यारस, नमि सित ग्यारसि ज्ञान जनम अरनाथ सुचौदस; संभव जु कल्याणक जनम तप, दुहूँ पूरणवासी थये । दिन सात कल्याणक एकदश, मगसिर माही वरणये ॥१८८१॥ अष्टमीको सुविधिनाथका मोक्ष, भादों सुद चतुर्दशीको वासुपूज्यका निर्वाण, आसौज वद द्वितीयाको नमिनाथका गर्भ, आसौज सुद एकमको नेमिनाथका मोक्ष, आसौज सुद अष्टमीको शीतलनाथका निर्वाण कल्याणक दिवस होता है। इस प्रकार दो माहमें सात तीर्थंकरोंके सात कल्याणक दिवस आते हैं ।।१८७९॥ ___ कार्तिक वद पडिवाको अनन्तनाथका गर्भ, कार्तिक वद चतुर्थीको संभवनाथका केवलज्ञान, कार्तिक वद त्रयोदशीको पद्मप्रभका जन्म तथा तप, कार्तिक वद अमावास्याको महावीरका निर्वाण, कार्तिक सुदी द्वितीयाको सुविधिनाथका ज्ञान, कार्तिक सुद षष्ठीको नेमिनाथका गर्भ और कार्तिक वद द्वादशीको अरहनाथका केवलज्ञान कल्याणक होता है इस प्रकार कार्तिक माहमें सात तीर्थंकरोंके आठ कल्याणक दिवस आते हैं ।।१८८०॥ मगसिर वद दशमीको महावीरका तप, मगसिर सुद एकमको सुविधिनाथका तप, मगसिर सुद नवमीको पुष्पदन्तका जन्म, मगसिर सुद दशमीको अरहनाथका तप, मगसिर सुद एकादशीको मल्लिनाथका जन्म, तप तथा ज्ञान, मगसिर सुद एकादशीको नमिनाथका ज्ञान, मगसिर सुद चतुर्दशीको अरहनाथका जन्म और मगसिर सुद पूर्णिमाको संभवनाथका जन्म तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy