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श्री कवि किशनसिंह विरचित
प्रोषध सुदि तेरसि बारसि, मगसिर वदि बारसु ग्यारसि । सुदि तीज अवर करि बारसि, वदि पोष दुतिय भवि पंदरसि || १७७६॥ सुदि पांचै सातै कीजै, पूनौको वास धरीजै । वदि माघ चौथ सातै गनि, चौदस उपवास धरो मनि ॥ १७७७॥ सुदि सातै आठै बेलो, दशमी करि वास अकेलो । फागुण पांचै छठि कारी, बेलो सुणि तिथि उजियारी || १७७८॥
पडिवा पुनि ग्यारसि लीजे, पूनों दिन बेलों कीजे । वदि पडिवा दोयज बेलो, चैतको करो इक तेलो ॥ १७७९ ।।
चौथि छठि ग्यारसि अठमी, सुदि साते को अर दशमी । वैशाख चौथ वदि धारी, दशमी बारसि पुनि कारी ॥ १७८०॥
बेलो सुदि दोइज तीज, नौमी तेरसि दुहु लीज । सातें दशमी वदि जेठ, आठे दशमी पख सेत ॥ १७८१ ॥
पूनोंको वास करीजे, आषाढ असित पख लीजे । दशमी प्रोषध तेरसि गनि, चौदस मावस तेलो भनि || १७८२॥
सुदि आठै दसमी पंदरस, उपवास करो करि मन वस । अब सांवण मधि जे वास, कहिहों भवि सुनियो तास ||१७८३॥
बारस, तथा कार्तिक सुदी बारस और तेरस, मगसिर वदी ग्यारस और बारस, मगसिर सुदी तीज और बारस, पौष वदी दूज और पंद्रस ( अमावस), पौष सुदी पाँचम, सातम और पूर्णिमा तथा माघ वदी चौथ, सातम और चौदशका उपवास करे ।।१७७५-१७७७ ।।
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माघ सुदी सात और आठमका बेला तथा दशमीका उपवास करे । फागुन वदी पाँचम और छठका बेला तथा फागुन सुदी एकम, ग्यारस और पूनमका उपवास करे । चैत्र वदी एकम और दूजका बेला तथा तेरस, चौदश और अमावसका तेला करे । चैत्र सुदी चौथ, छठ, ग्यारस, आठम और दसमका उपवास करे। वैशाख वदी चौथ, दसम और बारसका उपवास तथा वैशाख सुदी दूज और तीजका बेला करे। वैशाख सुदी नवमी तथा तेरसका उपवास, जेठ वदी सातम और दसम तथा जेठ सुदी आठम, दसम और पूनमका उपवास करे। आषाढ़ वदी दशमीका उपवास तथा तेरस, चौदस और अमावसका तेला करे ।।१७७८-१७८२।।
आषाढ़ सुदी आठम, दशम और पूनमका उपवास करे । श्रावण वदी चौथ, आठम, चौदश तथा श्रावण सुदी तीजका उपवास, बारस - तेरसका बेला और पूनमका उपवास करे एवं भादों वीज और बारसका उपवास तथा छठ- सातमका बेला और भादों सुदी पाँचम, छठ, सातमका
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