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________________ २५६ श्री कवि किशनसिंह विरचित सुगंध दशमी व्रत - चौपाई व्रत सुगंध दशमीको जान, भादों सुदि दशमी दिन ठान । प्रोषध करे वरष दश सही, शील सहित मर्यादा गही॥१६१७॥ अष्ट द्रव्य सों पूजा करे, धूप विशेष खेय अघ हरे । धीवर-सुता हुती दुरगंध, व्रत-फल तस तन भयो सुगंध ॥१६१८॥ श्रवण बादशी व्रत चौपाई भादों सुदि द्वादसि व्रत नाम, श्रवण द्वादशी जो अभिराम । बारह वरष लगे जो करै, शील सहित प्रोषध अनुसरै॥१६१९॥ अनन्त चतुर्दशी व्रत ___ चौपाई भादों सुदि चौदसि दिन जानि, व्रत अनंत चौदसिको ठानि । तीर्थङ्कर चौदहौ अनन्त, २रचै पूज सों जीव महंत ॥१६२०॥ प्रोषध करे शील जुत सार, चौदह वरष लगे निरधार । उद्यापन विधि करि वह तजै, सो जन स्वर्ग तणा सुख भजै ॥१६२१॥ सुगन्ध दशमी व्रत भादों सुदी दशमीको सुगन्ध दशमी व्रत किया जाता है। इस दिन प्रोषध किया जाता है। दश वर्ष तक इसकी मर्यादा है। इस दिन शील व्रतका पालन करना चाहिये, अष्ट द्रव्यसे भगवानकी पूजा करना चाहिये, धूप विशेष रूपसे चढ़ाना चाहिये। यह व्रत पापोंको हरनेवाला है। धीवरकी पुत्री दुर्गंधाने इस व्रतके फलसे सुगन्धित शरीर प्राप्त किया था ॥१६१७-१६१८॥ श्रवण (श्रमण) द्वादशी व्रत । भादों सुदी द्वादशीके दिन श्रवण (श्रमण) द्वादशी व्रत किया जाता है। यह व्रत बारह वर्ष तक होता है। इस दिन शील सहित उपवास करना चाहिये ॥१६१९॥ अनन्त चतुर्दशी व्रत _ भादों सुदी चौदसके दिन अनन्त चतुर्दशी व्रत होता है। इस दिन महान पुरुष चौदहवें तीर्थंकर अनन्तनाथ भगवानकी पूजा करते हैं, शील सहित प्रौषध करते हैं । यह व्रत चौदह वर्ष तक किया जाता है पश्चात् उद्यापन कर छोड़ा जाता है। इसके फलसे स्वर्ग सुखकी प्राप्ति होती है ॥१६२०-१६२१॥ १ जल चंदन अक्षत सब करे न० २ रचि है पूजा जीव महंत न०, रचिहै पूजा तास महंत । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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