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________________ क्रियाकोष सकल वरसके दिनमें जान, परव अठाई भूषित मान । खग भूमीस मिलेच्छ नरेश, तिन करि पूज जेम चक्रेस ॥ १५७८।। चक्रीकी जो सेवा करे, सो मनवांछित सुख अनुसरे । आज्ञा भंग किये दुख लहे, ऐसे लोक सयाणे कहे || १५७९।। तिम जो इनि दिन संवर धरे, तास पुण्य वरनन को करे । जो इन दिनमें अघ उपजाय, संख्यातीत तास दुख थाय ॥। १५८०॥ दोहा इहै अठाही व्रत धरो, प्रगट वखाण्यौ मर्म । सुरगादिककी वारता, लहै सास्वतो सर्म ॥१५८१॥ सोलह कारण, दश लक्षण, रत्नत्रय विधि कथन चौपाई सोलह कारण विधि सुनि लेह, जिन आगममें भाषी जेह । भादों माघ चैत तिहूँ मास, मध्य करे चित धरि हुल्लास ॥१५८२॥ २४९ वास इकंतर विधिजुत धरे, बीच दोय जीमण नहि करे । सोलह वरस करे भवि लोय, उद्यापन करि छांडे सोय ।। १५८३ ॥ व्रतका पालन करें और देव तथा मनुष्य गतिके सुख प्राप्त कर मुक्तिरमाको वरें ॥। १५७७॥ ग्रन्थकार कहते हैं कि वर्षके समस्त दिनोंमें आष्टाह्निक पर्व उस प्रकार सुशोभित है कि जिस प्रकार भूमिगोचरी और विद्याधर राजाओंमें चक्रवर्ती सुशोभित होता है । जो चक्रवर्तीकी सेवा करता है वह मनवांछित सुखको प्राप्त होता है और जो उसकी आज्ञाका भंग करता है वह दुःख पाता है ऐसा ज्ञानी जन कहते हैं ।। १५७८ - १५७९ ।। इसी प्रकार इस आष्टाह्निक पर्वमें जो व्रत रखता है उसके पुण्यका वर्णन कौन कर सकता है ? इसके विपरीत जो पापका उपार्जन करता है वह असंख्यात दुःखोंको प्राप्त होता है ।। १५८० ॥ इसलिये हे भव्यजनों ! इस आष्टाह्निक व्रतको धारण करो, इसके मर्मका हमने स्पष्ट वर्णन किया है । इसके फलसे स्वर्गादिककी तो बात ही क्या, शाश्वतसुख -मोक्षसुख भी प्राप्त होता है ॥१५८१ ॥ सोलह कारण, दश लक्षण और रत्नत्रय व्रतकी विधिका कथन I अब जिनागमके कहे अनुसार सोलह कारण व्रतकी विधिको सुनो। यह व्रत भादों, माघ और चैत्र इन तीन मासोंमें आता है । हृदयमें उत्साहपूर्वक इसे धारण करना चाहिये । एक उपवास और एक एकाशन इस विधिसे करे, बीचमें लगातार दो जीमन न करे, इस प्रकार सोलह वर्ष तक करे और पूर्ण होनेपर उद्यापन कर छोड़े ।। १५८२ - १५८३|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
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