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________________ 458 धातुरत्नाकर पञ्चम भाग १७९९ वृहुण् (वृंह्) भासार्थः॥ वल्हयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, १ वृह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिवहे, सिमहे।। २ वृह्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। ७ वल्हयिषी (वल्हिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, ३ वंह-यताम. येताम, यन्ताम. यस्व। येथाम, यध्वम। यै । ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि ।। यावहै, यामहै।। ८ वल्हयिता, वल्हिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, स्महे ।। ४ अBह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। ९ वल्हयिष्, (वल्हिष्)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ५ अहि (अवृंहयि, अवृंहि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, ये, यावहे, यामहे ।। ड्ढ्व म्/दवम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। | १० अवल्हयिष्, अवल्हिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, ६ वृंहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृष, क्राथे, कृट्वे। क्रे, कृवहे, | । यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। कृमहे ।। १८०१ अहुण् (अंह्) भासार्थः।। वृहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विवे/विध्वे। वे, १ अंह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे । विवहे, विमहे ।। | २ अंधे-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। वृहयामा-हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, सिमहे ।। ३ अंह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, ७ वृंहयिषी (वृंहिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम्, यावहै, यामहै। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। | ४ आंह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। ८ वृहयिता, वृंहिता -", रौ, र:। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, | स्महे ।। | ५ आंहि (आंहयि, आंहि)- षाताम्, षत। ष्ठाः, षाथाम्, ९ वृंहयिष, (वृहिष)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे. यध्वे। ये. | ड्ढ्व म्/वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, ष्महि ।। यावहे, यामहे ।। ६ अंहयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढवे। क्रे, वृवहे, १० अवृंहयिष्, अहिष् -यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, कृमहे ।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि।। अंहयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, विवहे, विमहे।। १८०० वल्हण (वल्ह्) भासार्थः।। अंहयामा- हे, साते, सिरे। सिषे, साथे, सिध्वे। हे, सिवहे, १ वल्ह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। सिमहे।। २ वल्ह्ये-त, याताम्, रन्। थाः, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, | ७ अंहयिषी (अंहिषी)-ष्ट, यास्ताम्, रन्। ष्ठाः, यास्थाम, महि। ढ्वम्/ध्वम्। य, वहि, महि।। ३ वल्ह-यताम्, येताम्, यन्ताम्, यस्व। येथाम्, यध्वम्। यै, | ८ अंहयिता, अंहिता -", रौ, रः। से, साथे, ध्वे। हे, स्वहे, यावहै, यामहै।। स्महे ।। ४ अवल्ह-यत, येताम्, यन्त। यथाः, येथाम्, यध्वम्। ये, | ९ अंहयिष, (अंहिष)-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहि, यामहि।। यावहे, यामहे ।। ५ अवल्हि (अवल्हाय, अल्हि )- षाताम्, षत। ष्ठाः, | १० आंहयिष, आंहिष -यत. येताम यन्त। यथाः. येथाम. षाथाम्, ड्ढ्व म्/ढ्वम्/ ध्वम्। षि, ष्वहि, महि।। यध्वम्। ये, यावहि, यामहि ।। ६ वल्हयाञ्च-क्रे, काते, क्रिरे। कृषे, क्राथे, कृढ्वे। क्रे, कृवहे, कृमहे।। १८०२ वहुण् (वह) भासार्थः॥ वल्हयाम्बभू- वे, वाते, विरे। विषे, वाथे, विढ्वे/विध्वे। वे, | १ वंह-यते, येते, यन्ते। यसे, येथे, यध्वे। ये, यावहे, यामहे। विवह, विमहे ।। | २ वंह-त, याताम्, रन्। था:, याथाम्, ध्वम्। य, वहि, महि। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001924
Book TitleDhaturatnakar Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLavanyasuri
PublisherRashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi
Publication Year2006
Total Pages534
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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