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________________ डाकुओं से युद्ध X X वरधनु लुप्त कककककककक ककककक कककककककककककक ककककककक कक २३ - 'मगधपुर में धनावह सेठ मेरे काका हैं। वहीं चलिये । वे हम सब का भावपूर्वक स्वागत सत्कार करेंगे और हम सब वहाँ सुखपूर्वक रहेंगे ।" ककककककककककककककककका डाकुओं से शुद्ध + + वरधनु लुप्त वरधनु सारथि बना और रथ मगधपुर की ओर चला । आगे चलते हुए उन्होंने भयं कर वन में प्रवेश किया। उस अटवी में 'सुकंटक' और 'कंटक' नाम के दो क्रूर डाकू अपने दल के साथ रहते थे । डाकू दल ने रथ को घेर लिया और बाण - वर्षा करने लगा । ब्रह्मदत्त तत्काल उठा और जोर से हुँकार करता हुआ भयंकर बाण-वर्षा करने लगा । उसके गम्भीर एवं सांघातिक प्रहार से डाकूदल भाग गया । डाकूदल के भाग जाने के बाद वरधनु ने कुमार से कहा--" आप थक गये होंगे । रथ में सो जाइए।" ब्रह्मदत्त रथ में सो गया और रथ आगे बढ़ा। प्रातः काल एक नदी के किनारे पर रथ रुका और ब्रह्मदत्त की नींद खुली। उसने देखा कि वरधनु कहीं दिखाई नहीं देता । उसने रत्नावती को जगाया और मित्र को पुकारने लगा । परन्तु मित्र का पता नहीं चल सका । कुमार हताश हो कर चिन्ता - सागर में डूब गया। उसके मन में मित्र की मृत्यु की आशंका उठी और वह धाड़ें मार कर रोने लगा । रत्नावती ने सान्त्वना देते हुए कहा-" आपके मित्र जीवित हैं-- ऐसा मेरी आत्मा में विश्वास है | आप उनके अमंगल की कल्पना कर के विलाप कर रहे हैं. यह उचित नहीं है । वे आपके किसी कार्य से ही कहीं गये होंगे। वे अवश्य ही आवेंगे। आप धीरज रखिये । अपन अपने स्थान पर पहुँच कर उनकी शोध करवावेंगे। अभी इस वन में रुकना उचित नहीं है ।" खण्डा और विशाखा से मिलन और लग्न Jain Education International रत्नावती की बात सुन कर ब्रह्मदत्त सावधान हुआ और रथ आगे बढ़ाया । अटवी पार कर के उन्होंने मगत्रपुर की सीमा स्थित एक गाँव में प्रवेश किया। उस गाँव का नायक कुछ ग्रामवासियों के साथ मन्त्रणा कर रहा था। ब्रह्मदत्त की भव्यता देख कर नायक प्रभावित हुआ। वह उसे आदरपूर्वक अपने घर ले गया । ब्रह्मदत्त ने उसे अपने मित्र के गुम होने की बात कही। नायक ने उसे आश्वासन दिया और तत्काल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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