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________________ ३७८ तीर्थङ्कर चरित्र--भाग ३ ••••••••ဖုန်းနီနီ၊ • • • • နီ+ + $••• • • • अभयकुमार की मांग और मुक्ति चार वरदान एकत्रित होने पर अभय कुमार ने राजा से अपने चारों वरदान एकसाथ माँगे । वह बन्धन-मुक्त हो कर राजगृह जाने की माँग तो कर ही नहीं सकता था । क्योंकि राजा ने वचन देते समय ही स्पष्ट कर दिया था कि 'मुक्त होने की मांग के अतिरिक्त कुछ भी माँग लो।' अभयकुमार ने माँगें रखी; --१ आप अनलगिरि हाथी के कन्धे पर महावत बन कर बंठे और हाथी को चलावें, २ में महारानी शिवादेवी की गोद में बैलूं, ३ अग्निभीरु रथ तो तोड़ कर उसकी लकड़ी की चित्ता बनाई जाय और ४ उस पर आप-हम सब बैठ कर जल-मरें।" इस मांग की पूति होना अशक्त था। राजा समझ गया कि अब अभयकुमार को छोड़ने के अतिरिक्त कोई मार्ग हमारे सामने नहीं है । प्रद्योत ने स-खेद हाथ जोड़ कर नम्रतापूर्वक अभयकुमार को मुक्त किया और राजगृह पहुँचाया। अभयकुमार की प्रतिज्ञा उज्जयिनी से चलते समय अभयकुमार ने प्रद्योत से कहा-- "आपने तो मुझे धर्मछल से पकड़वा कर हरण करवाया था। परन्तु मैं आपको आपके राज्य में और इसी उज्जयिनी में से, दिन के प्रकाश में आपको ले जाऊँगा और आप चिल्लाते रहेंगे कि “मैं राजा हूँ, मुझे छुड़ाओ।" परन्तु आपकी कोई नहीं सुनेगा।" कुछ काल के उपरांत वेश्या की दो अत्यन्त सुन्दर युवतियों को ले कर अभयकुमार गुप्त रूप से उज्जयिनी आया और एक व्यापारी बन कर, घर भाड़े पर ले कर रहने लगा वह अपने साथ एक ऐसा पुरुष भी लाया, जिसकी आकृति रंग-रूप और वय प्रद्योत के समान थी। उसे एक खाट पर डाला और मजदुरों से उठवा कर वैद्य के यहाँ ले जाने के बहाने उसे दूर-दूर तक ले जाने-लाने लगा। वह पुरुष चिल्लाता-“मैं यहाँ का राजा हूँ। मुझे छुड़ाओ।" लोग सुन कर दौड़ पड़े, तब अभयकुमार ने कहा--"यह मेरा भाई है । पागल है । इसी तरह बकता रहता है। इसका उपचार कराने यहाँ लाया हूँ।" लोग आश्वस्त हो कर लौट गये । चण्डप्रद्योत जिस राजमार्ग पर हो कर वन-विहार आदि के लिए जाता-आता, उसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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