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________________ २१२ तीर्थंकर चरित्र - भा. ३ कककककककककक कककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककक मूल्य दे कर वसुमती को ले लिया और उसे पिता के समान वात्सल्यपूर्ण वचनों से संतुष्ट कर घर ले आया । उसने प्रेमपूर्वक उस बाला से माता-पिता का नाम और स्थान पूछा । अपने महत्वशाली कुल एवं माता-पिता को अपनी इस दशा में प्रकट करना याग्य नहीं मान कर वह नीचा मुंह किये मौन खड़ी रही, यहाँ तक कि उसने अपना नाम भी नहीं बताया । सेठ ने अपनी पत्नी से कहा- " -" यह कन्या किसी उच्च कुल की है। सुशाल है । इसका पुत्री समान स्नेहपूर्वक पालन-पोषण करना है ।" सेठ के घर वसुमती शान्ति से रहने लगी। उसका सब के साथ विनयपूर्वक मिष्ठ व्यवहार, मधुर वचन और शांत चन्दन के समान शीतल स्वभाव से प्रभावित हो कर सेठ ने उसका नाम 'चन्दना' रखा। वह इस नाम से पुकारी जाने लगी । कालान्तर में चंदना यौवन अवस्था को प्राप्त हुई। उसके अंगोपांग विकसित हुए चन्दना के विकसित यौवन और सौन्दर्य को देख कर गृहस्वामिनी आशंकित हो गई। उसके मन में सन्देह उत्पन्न हुआ कि ' कहीं मेरा स्थान यह नहीं ले ले ।' सेठ के वात्सल्यपूर्ण व्यवहार में वह वैषयिकता देखने लगी । उसे अपने दुर्भाग्य के दर्शन होने लगे । वह उदास रहती हुई पति और चन्दना के प्रत्येक व्यवहार पर दृष्टि रखने लगी । एक बार सेठ दुकान से लौट कर घर आये, तो उस समय उनके पाँव धुलवाने वाला सेवक वहाँ नहीं था । इसलिये चन्दना पानी ला कर सेठ के पाँव धोने लगी । पाँव धोते समय अंग शिथिल होने से उसके मस्तक के बाल खुल कर भूमि पर गिर पड़े, तो सेठ ने उन्हें धूल कीचड़ से बचाने के लिये एक लकड़ी से ऊपर उठा लिये और बाँध दिये। यह दृश्य ऊपर अट्टालिका पर रही हुई मूला सेठानी ने देखा । इस दृश्य से उसका सन्देह अधिक दृढ़ हो गया । उसने समझ लिया कि " 'दोनों में स्नेह की गाँठ बन्ध गई और अब मेरा भाग्य फूटने ही वाला है । लोगों के सामने तो ये बाप-बेटी का नाता वत: लाते हैं और मन ही मन पाप की गांठ बांध रहे हैं। बड़े धर्मात्मा और व्रतधारी श्रावक हैं ये । परन्तु मैं भी इनका यह खेल प्रारंभ होने के पूर्व ही बिगाड़ दूंगी। इनके मन के मनोरथ नष्ट नहीं कर दूं, तो मेरा नाम मूला नहीं ।" वह मन ही मन जलने लगी । फिर उसने एक योजना बनाई और उपयुक्त अवसर की ताक में लगी रही । उपरोक्त घटना के बाद सेठ घर से बाहर गए । मूला ने तत्काल चंदना को पकड़ी और बड़बड़ाती हुई उसके रेशम के समान अति कोमल बालों को कटवा दिया । चन्दना ने. x वेश्या के हाथ बेचे जाने की घटना -- जो अन्य कथा - चोपाई में मिलती है, वह इन प्राचीन ग्रन्थों में देखने में नहीं आई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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