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________________ तीर्थंकर चरित्र अपनी बगल में दबा दिया। इसके बाद दपीश्वर महावीर बालि नरेश, रावण को बगल में दबा कर दौड़ते हुए चक्कर लगाने लगे। इसके बाद रावण को छोड़ दिया। वह लज्जित हो कर नीचा मुँह किये खड़ा रहा ।। ___ महानुभाव बालि नरेश को कर्म की विचित्रता एवं संसार की भयंकरता का विचार आया। वे विरक्त हो गए। उन्होंने रावण से कहा;-- "हे रावण ! वीतराग-धर्म को पा कर भी तेरा राज्यलोभ नहीं मिटा । इस महत्त्वाकांक्षा से युद्ध में प्रवृत्त हो कर जीवों का संहार करता है । इस महापाप से तु कैसे छूटेगा? यह राज्यश्री किसी के पास स्थायी नहीं रहती। इस पर कई आते हैं और कई जाते हैं। मुझे इस पर तनिक भी रुचि नहीं रही। मैं निग्रंथ-मार्ग पर चल कर मोक्ष का शाश्वत राज्य पाने जा रहा हूँ। मेरा छोटा भाई सुग्रीव यहाँ का राज्य करेगा और वह तेरी आज्ञा में रहेगा।" महानुभाव बालिजी ने सुग्रीव का राज्याभिषेक किया और आप श्रीगगनचन्द्र मुनि के पास जा कर प्रवजित हो गए। आप विविध प्रकार के अभिग्रह तथा तप का सेवन करते हुए पृथ्वी पर विचरने लगे। उन्हें अनेक प्रकार की लब्धियें प्राप्त हो गई। कालांतर में वे मासखमण का तप करके अष्टापद पर्वत पर कायुत्सर्ग करने लगे। रावण का उपद्रव और बालि महर्षि की मुक्ति सुग्रीव ने रावण के साथ अपनी बहिन श्रीप्रभा का लग्न करके स्नेह-सम्बन्ध स्थापित किया और बालि के पुत्र चन्द्ररश्मि को युवराज पद पर प्रतिष्ठित किया। रावण नित्यालोक नगर की राजकुमारी से लग्न करने के लिए पुष्पक-विमान से जा रहा था। जब वह अष्टापद गिरि पर पहुंचा, तो उसका विमान अटक गया । विमान के रुकने का कारण जानने के लिए रावण ने नीचे देखा, तो उसे महामुनि बालिजी दिखाई दिये । उसकी कषाय सुलगी। वह सोचने लगा--"यह ढोंगी है। साधु होकर भी मुझ पर वैर रखता है। उस समय इसने चालाकी से मुझे पकड़ कर बगल में + आचार्यश्री हेमचन्द्रजी लिखते हैं कि बालि ने क्षणभर में चार समुद्र सहित पृथ्वी की परिक्रमा कर ली। किन्तु मानव-शरीर से (बिना वैक्रिय के) ऐसा होना संभव नहीं लगता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001916
Book TitleTirthankar Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1988
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size14 MB
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