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द्रौपदी चरित्रxxनागश्री का भव
होंगे ? नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सका," आदि । सारी सभा चकित थी। एक-दूसरे से इस घटना पर कानाफुसी कर रहे थे। उसी समय दैवयोग से एक चारण मुनि आकाशपथ से वहाँ आ उतरे । महात्मा को देख कर श्रीकृष्ण आदि ने वन्दना की और पूछा," महात्मन् ! आप विशिष्टि ज्ञ नी हैं । कृपया बताइए कि द्रौपदी के पांच पति होंगे? ऐसा हाने का क्या कारण है ? क्या यह आश्चर्यजनक घटना हो कर ही रहेगी ?"
- " हां राजन् ! ऐसा ही होगा । द्रौपदी ने पूर्वभव में निदान किया। वह अब उदय में आया है और अनिवार्य है।"
___ सभाजनों के मन कुछ शान्त हुए, उत्तेजना मिटी, परंतु जिज्ञासा जगी और प्रश्न हुआ,--
____ "भगवन् ! द्रौपदी के पूर्वभव में किये निदान सम्बन्धी वर्णन सुनाने की कृपा करें"--सभाजनों की ओर से श्रीकृष्ण ने निवेदन किया।
द्रौपदी-चरित्र + + नागश्री का भव
मुनिराज द्रौपदी के पूर्वभवों का वर्णन सुनाने लगे;
"चम्पा नगरी में सोमदेव, सोमदत्त और सोमभूति नाम के तीन ब्राह्मण-बन्धु रहते थे। वे धनधान्यादि से परिपूर्ण थे। उनके क्रमशः-नागश्री, भूतश्री और यक्षश्री नाम की पत्नियाँ थी। वे तीनों पृथक-पृथक् रहते हुए सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। तीनों भाइयों में स्नेह-सम्बन्ध विशेष था। उन्होंने निश्चय किया था कि तीनों भाई क्रमशः बारी-बारी से एक-एक दिन, एक-एक के घर साथ ही भोजन करते रहेंगे।' इस प्रकार करते हुए कालान्तर में सोमदेव के घर भोजन करने की बारी थी। नागश्री ने रुचिपुर्वक उत्तम भोजन बनाना । उस भोजन में तुम्बी-फल का शाक भी बनाया, जिसमें अनेक प्रकार के मसाले आदि डाले गये थे परन्तु वह तुम्बीफल कडुआ था। शाक बनने के बाद उसने च खा, तब उसे उसका वडुआपन मालूम हुआ। वह बहुत खेदित हुई और उस कडुए शाक को छुपा कर रख दिया। फिर दूसरा शाक बना कर सब को भोजन कराया।
उस समय उस नगरी के सुभूमिभाग उद्यान में आचार्य धर्मघोष' नामके स्थविर, बहुत-से शिष्यों के परिवार से पधार कर ठहरे हुए थे। उनके साथ 'धर्मरुचि' नाम के
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