________________
राम चरित्र -- राक्षस वंश
चक्रवर्ती महाराजा महापद्म ने भी संसार का त्याग कर दिया और दस हजार वर्ष तक चारित्र का पालन कर मोक्ष प्राप्त हुए । इनकी कुल आयु तीस हजार वर्ष की थी ।
राम चरित्र
१६
[ रामचरित्र अर्थात् रामायण का प्रचलन जैम, वैदिक और बौद्ध इन तीनों भारतीय समाज में हैं । भिन्न रचना एवं मान्यताओं के कारण चरित्रों में भेद भी है । बहुत-सी बातों में समानता है, सो तो होनी चाहिए | क्योंकि चरित्र के मुख्य पात्र बौर मुख्य घटना तो एक ही है ।
वैदिकों में बाल्मिकी रामायण अधिक प्राचीन है, तब जैन परम्परा में 'पउम चरिय' बहुत प्राचीन हैं। इसकी रचना विक्रम की छठी शताब्दी में बताई जाती है। इसके सिवाय 'सियाचरियं ' 'वसुदेव हिण्डी' और 'त्रिष्ठी शलाका पुरुष चरित्र' आदि कई रचनाएँ श्वेताम्बर जैन समाज में हुई । दिगम्बर जैन समाज में 'पद्मपुराण' आदि हैं ।
मुख्य पात्र सम्बन्धी मत भेद वैदिक रामायण में भी है। सीता को जनक राजा की पुत्री तो सभी मानते हैं, किन्तु अद्भुत रामायण में सीता को मन्दोदरी के गर्भ से उत्पन्न रावण की पुत्री बताया गया है । दिगम्बर जैन समाज के 'उत्तर पुराण' में भी सीता को रानी मन्दोदरी से उत्पन्न राबण की पुत्री बतलाया है । बौद्धों के ' दशरथ जातक' में सीता को राम-लक्ष्मण की सगी बहिन' लिखा है और राम को बुद्ध के किसी पूर्व-भव का जीव बतलाया है । यह भेद किसी श्वेताम्बर रचित रामायण में नहीं है । अन्य भी कई प्रकार को भिन्नताएं हैं। परम्पराजन्य भेद तो सभी में है ही । आगमों में वासुदेव, प्रतिवासुदेव और बलदेव की नामावली में नाम त्र है और प्रश्नव्याकरण (१-४) में - सीता के लिए युद्ध हुआ' - इस भाव को बतानेवाला मात्र 'सियाए ' - ये तीन अक्षर हैं। इसके अतिरिक्त कोई उल्लेख ध्यान में नहीं है ।
मैं सोचता हूँ कि प्रत्येक चरित्र, अपने पूर्व प्रसिद्ध चरित्र से प्रभावित होगा। इस प्रकार छद्मस्थ लेखकों द्वारा रचित चरित्रों को अक्षरशः प्रमाणिक नहीं माना जा सकता ।
Jain Education International
प्रत्येक ग्रंथकार ने अपनी मान्यता के अनुसार चरित्र का निर्माण किया है । इम भी त्रि. श. पु. च. के आधार पर राम चरित्र' अपनी बुद्धि के अनुसार संक्षेप में उपस्थित करते हैं ।]
राक्षस वंश
भ. श्री मुनिसुव्रत स्वामी के मोक्ष गमन के बाद उनके तीर्थ में और उसी हरिवंश में पद्म (राम) नाम के बलदेव, लक्ष्मण नाम के वासुदेव और रावण नाम का प्रतिवासुदेव हुआ । उनका चरित्र इस प्रकार है ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org