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तीर्थकर चरित्र
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'विजया' और 'अम्बिका' नाम की दो रानियाँ थीं। वे दोनों रूप, उत्तम लक्षण और सद्गुणों से युक्त थीं । विजया रानी की कुक्षि में पुरुषवृषभ मुनि का जीव, सहस्रार देवलोक से आ कर पुत्रपने उत्पन्न हुआ। रानी ने चार महास्वप्न देखे । गर्भकाल पूर्ण होने पर उत्तम लक्षण वाले पुत्र का जन्म हुआ । उसका 'सुदर्शन' नाम रखा । कालान्तर में विकट' का जीव दूसरे स्वर्ग की अपनी स्थिति पूर्ण कर के अम्बिका रानी के गर्भ में आया । रानी ने वासुदेव के फल को सूचित करने वाले सात महास्वप्न देखे । जन्म होने पर अतिशय पराक्रम दर्शक लक्षणों को देख कर 'पुरुषसिंह' नाम दिया गया। दोनों भ्राता राजकुमारों में अत्यंत स्नेह था। वे सभी कलाओं में पारंगत हुए और महाबली के रूप में विख्यात हुए।
शिव नरेश का पड़ोस के एक राजा से वैमनस्य हो गया। दोनों में शत्रुता चरम सीमा पर पहुँच गई । शिव नरेश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र सुदर्शनकुमार को सेना ले कर युद्ध करने भेजा । राजकुमार पुरुषसिंह भी साथ ही युद्ध में जाना चाहते थे, किंतु उन्होंने रोक दिया जब ज्येष्ठ बन्धु प्रयाण कर गए, तो पीछे से पुरुषसिंह भी चल दिये और मार्ग में सेना के साथ हो लिए। जब ज्येष्ठ वन्धु को ज्ञात हुआ, तो उन्होंने उन्हें मार्ग में ही रुक जाने की आज्ञा दी । वे वहीं रुक गये और सेना आगे बढ़ गई । थोड़ी देर बाद राजधानी से शीघ्रतापूर्वक दूत ने आ कर राजकुमार पुरुषसिंह को एक पत्र दिया। पत्र में पिता की ओर से राजकुमार को शीघ्र ही वापिस आने का उल्लेख था । कारण पूछने पर दूत ने कहा--" स्वामी को दाह-ज्वर रोग के कारण अत्यंत पीड़ा हो रही है ।" पिता की पीड़ा के समाचार जान कर राजकुमार चिंतित हुए और उसी समय लौट गए और शीघ्रतापूर्वक बिना कहीं रुके, दो दिन में ही पिता की सेवा में उपस्थित हो गए जब उन्होंने पिता को भयानक रोग से अत्यंत पीड़ित देखा, तो उसका धैर्य जाता रहा । खाना-पीना भी भूल गए। राजा ने उन्हें आदेश दे कर बड़ी कठिनाई से भोजन करने भेजा । जैसे-तैसे थोड़ा खा-पी कर पिता की सेवा में आ ही रहे थे कि दासियाँ दौड़ती हुई आई और कहने लगी--
"कुमार साहब ! आप पहले अन्तःपुर में पधारें । महारानी अनर्थ करने जा रही हैं चलिए, जल्दी चलिए।" राजकुमार, माता के पास गये, तो क्या देखते हैं कि माता वस्त्राभूषण से सज्जित हैं और हीरे-मोती, रत्न, आभूषणादि दान कर रही है । उन्होंने माता से पूछा--
''मातेश्वरी ! आप क्या कर रही हैं ? इधर पिताश्री रोगग्रस्त हैं और आपको यह क्या सूझा ? क्या आप भी मुझे त्याग कर जाना चाहती हैं ?"
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