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तीर्थंकर चरित्र
१६०० अवधिज्ञानी, १२१५० मनः पर्यवज्ञानी, १५००० केवलज्ञानी, १९८०० वैक्रिय-लब्धिधारी, १२०.० वादी, २९३००० श्रावक तथा ६३६००० श्राविकाएँ हुई ।
भगवान् ने केवलज्ञान होने के बाद चार पूर्वांग और चौदह वर्ष कम एक लाख पूर्व तक तीर्थंकर पद पालन कर के एक हजार मुनियों के साथ सम्मेदशिखर पर्वत पर, चैत्रशुक्ला ५ के दिन मोक्ष प्राप्त किया । भगवान् का कुल आयुष्य साठ लाख पूर्व का रहा ।
तीसरे तीर्थंकर
भगवान्
॥संभवनाथजी का चरित्र सम्पूर्ण ॥
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