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भ. अजितनाथजी--धर्म-देशना
रत्नप्रभा पृथ्वी के मध्य में एक लाख योजन ऊंचा मेरु-पर्वत है । सूर्य, चन्द्र और ग्रह-नक्षत्रादि इससे ११२१ योजन दूर रहते हुए परिक्रमा करते रहते हैं । इसमें एक ध्रुव का तारा ही निश्चल ( ? ) है। नक्षत्रों में सब से ऊपर स्वाति नक्षत्र है और सब से नीचे भरणी नक्षत्र है । दक्षिण में मूल और उत्तर में अभिजित् नक्षत्र है। इस जम्बूद्वीप में दो चन्द्र और दो सूर्य हैं । लवण-समुद्र में चार चन्द्र और चार सूर्य हैं । धातकीखंड में बारह चन्द्र और बारह सूर्य हैं । कालोदधि में बयालीस चन्द्र और बयालीस सूर्य हैं । पुष्करार्द्ध में ७२ चन्द्र और ७२ सूर्य हैं। इस प्रकार ढ़ाई द्वीप में १३२ चन्द्र और १३२ सूर्य हैं। प्रत्येक चन्द्र के साथ ८८ ग्रह, २८ नक्षत्र और छासठ हजार नौ सौ पिचहत्तर कोटाकोटि ताराओं का परिवार है । ढाई द्वीप के भीतर रहे हुए ये चन्द्रादि भ्रमणशील हैं। इनके अतिरिक्त ढाई द्वीप के बाहर रहे हुए स्थिर हैं ।
मध्य-लोक में जम्बूद्वीप और लवण-समुद्र आदि शुभ नाम वाले असंख्य द्वीप और समुद्र हैं और ये एक-दूसरे से उत्तरोत्तर द्विगुण अधिक विस्तार वाले हैं। सभी समुद्र वलयाकार से द्वीप को घेरे हुए हैं। अंत में स्वयंभूरमण समुद्र है।
जम्बूद्वीप के सात खण्ड ये हैं--१ भरत २ हेमवंत ३ हरिवर्ष ४ महाविदेह ५ रम्यक वर्ष ६ हैरण्यवत और ७ ऐरवत । इनके मध्य में वर्षधर पर्वत रहे हुए हैं, जिनसे इनके उत्तर और दक्षिण ऐसे दो विभाग हो जाते हैं । इन पर्वतों के नाम--१ हिमवान् २ महाहिमवान् ३ निषध ४ नीलवंत ५ रुक्मि और ६ शिखरी।
भरत-क्षेत्र में गंगा और सिन्धु ये दो बड़ी नदियाँ हैं। जम्बूद्वीप एक लाख योजन विस्तार का है। इसके चारों ओर दो लाख योजन का लवण-समुद्र है । इसके आगे धातकीखण्ड इससे द्विगुण अधिक विस्तार वाला है। उसके आगे आठ लाख योजन का कालोदधि समुद्र है। इसके बाद १६ लाव योजन विस्तार वाला पुष्करवर द्वीप है । यह पुष्करवर द्वीप आधा (आठ लाख योजन) तो मनुष्य-क्षेत्र के अन्तर्गत है और आधा मनुष्य-क्षेत्र के वाहर है । मनुष्य-क्षेत्र कुल पेंतालीस लाख योजन परिमाण लम्बा है ।
इसके बाद असंख्य द्वीप-समुद्र हैं। यह तिरछा लोक एक रज्जु परिमाण लम्बा है।
*२ लाख योजन का लवण समुद्र, ४ लाख योजन धातकीखण्ड, ८ लाख योजन कालोदधि, ८ लाख योजन पुष्करार्द्ध ।।
ये २२ लाख योजन पूर्व और २२ लाख योजन पश्चिम में और एक लाख योजन का जम्बदीप यों कु ल ४५ लाख योजन का मनुष्य क्षेत्र हुआ।
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