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________________ भ. अजितनाथ जी-धर्म देशना-धर्म ध्यान यों दो प्रकार से वेदन कराने वाला कर्म । ४ मोहनीय--आत्मा को मोहित करने वाला । जिस प्रकार मद्यपान से मोहमस्त हुआ व्यक्ति, हिताहित और उचितानुचित नहीं समझ सकता, उसी प्रकार दर्शन-मोह के उदय से मिथ्यादर्शनी हो जाता है और चारित्र-मोहनीय कर्म के उदय से विरति--चारित्रिक परिणति रुक कर जीव, सदाचार से वंचित रहता है । ५ आयु-यह बन्दीगृह के समान है । इसके उदय से जीव नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देवगति में अपने आयु के अनुसार रहता है। ६ नाम--यह कर्म चित्रकार के समान है। इसका प्रभाव शरीर पर होता है । इससे जाति आदि की विचित्रता होती है । ___७ गोत्र-यह ऊँच और नीच ऐसे दो भेद वाला है । यह कुंभकार जैसा है । जिस प्रकार कुंभकार क्षीर-पात्र भी बनाता है और मदिरा-पात्र भी, उसी प्रकार इस कर्म का परिणाम होता है। ८ अन्तराय---इसकी शक्ति से दान, लाभ और भोगादि में बाधा उत्पन्न होती है । जिस प्रकार राजा द्वारा दिये हुए पुरस्कार में भंडारी बाधक होता है, उसी प्रकार यह कर्म भी दान-लाभादि में बाधक बनता है । ____ इस प्रकार कर्म की मूल-प्रकृति के फल विपाक का चिन्तन करना, 'विपाक-विचय' धर्मध्यान कहाता है। संस्थान-विचय जिसमें उत्पत्ति, स्थिति, लय और आदि-अंत-रहित लोक की आकृति का चिन्तन किया जाय, वह ‘संस्थान-विचय' ध्यान कहाता है । इस लोक की आकृति उस पुरुष जैसी है, जो अपने पाँव फैला कर और कमर पर दोनों हाथ रख कर खड़ा हो । लोक उत्पत्ति, स्थिति और नाश रूपी पर्यायों (अवस्थाओं) वाले द्रव्यों से भरा हुआ है । नीचे यह वेत्रासन (बेंत के बने हुए आसन--कुर्सी) जैसा है, मध्य में ' झालर' जैसा और ऊपर ‘मृदंग' को आकृति के समान है । यह लोक तीन जगत् से व्याप्त है । इसमें प्रवल 'घनोदधि' (बर्फ अथवा जमे हुए घृत से भी अधिक ठोस पानी) 'धनवात' (ठोस वाय) और 'तनुवात' (पतला वायु) से सात पृथ्वियें घिरी हुई हैं। अधोलोक, तिर्यक्लोक और ऊर्ध्वलोक के भेद से यह 'तीन लोक' कहाता है । रुत्र-प्रदेश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001915
Book TitleTirthankar Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1976
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size8 MB
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