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सप्ततिका-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट ३०
४६8
(क्रमश:) (२) मार्गणा भेदों में आयुकर्म के संवेध का प्रारूप
यथाख्यात
चारित्र
देशविरत
अविरत
चक्षुदर्शन
अचक्षु दर्शन
अवधि दर्शन
केवल दर्शन
कृष्ण लेश्या
नील लेश्या
३८ । ३६ । ४०
| ४१
४२
४३
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