SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०२ ४०३ ४०५ ४०६ १८ दिगम्बर सप्ततिकानुसार गुणस्थानों में मोहनीय कर्म की - उत्तर प्रकृतियों के बंधादि स्थान १६. दिगम्बर सप्ततिकानुसार गुणस्थानों में नामकर्म की उत्तर प्रकृतियों के बंधादि स्थानों का प्रारूप २०. दिगम्बर सप्ततिकानुसार गुणस्थानों में गोत्र कर्म के बंधादि __ स्थानों के भंग २१. दिगम्बर सप्ततिकानुसार मार्गणास्थान भेदों में नाम कर्म __ के बंधादि स्थानों का प्रारूप २२. ग्रन्थानुसार मार्गणाभेदों में नाम कर्म के बंधादि स्थानों का प्रारूप २३. मार्गणाभेदों में मूल कर्मप्रकृतियों के संवेध का प्रारूप २४. मार्गणाभेदों में ज्ञानावरण और अंतराय कर्मों के संवेध का प्रारूप २५. मार्गणाभेदों में दर्शनावरण कर्म के संवेध का प्रारूप २६. मार्गणाभेदों में वेदनीय कर्म के संवेध का प्रारूप २२७. मार्गणाभेदों में मोहनीयकर्म के बंधस्थानों का प्रारूप २८. मार्गणाभेदों में मोहनीयकर्म के उदयस्थानों का प्रारूप २६. मार्गणाभेदों में मोहनीयकर्म के सत्तास्थानों का प्रारूप ३०. मार्गणाभेदों में आयुकर्म के संवेध का प्रारूप ३१. मार्गणाभेदों में गोत्रकर्म के संवेध का प्रारूप ३२. गाथाओं की अकारादि अनुक्रमणिका ४१३ ४२६ ४३४ ४३८ ४५४ ४६२ ४८६ ५२६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy