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परिशिष्ट ६ः
मोहनीयकर्म के सत्तास्थानों का प्रारूप
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सत्तास्यान
प्रकृतियां
जघन्य काल
उत्कृष्ट काल
२८ प्र.
सभी प्रकृतियां
। अन्तमुहर्त
पल्य का असं. भागाधिक ६६ सागर
सप्ततिका-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट ६
२७ प्र.
सम्यक्त्व की उद्वलना | पल्य. असं. भाग
पल्य. असं. भाग
२६ प्र.
मिश्र की उद्वलना अथवा | अन्तर्मुहूर्त अनादिमिथ्यादृष्टि
देशोन अर्धपुद्गल परावर्तन (अनादिसांत, अनादि-अनन्त)
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अनन्ता. की उद्वलना, क्षय |
६६ सागर
मिथ्यात्व का क्षय
अन्तर्मुहूर्त
मिश्रमोह का क्षय
सम्यक्त्वमोह का क्षय
मनुष्यभवद्वयाधिक ३३ सागर
कषायाष्टक का क्षय
अन्तमुहूर्त
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१२ प्र.
नपु. वेद का क्षय
३६७