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३.४६
सप्ततिका-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १
छन्वीसणाइमिच्छे उव्वलणाए व सम्ममीसाणं । चउवीस अणविजोए भावो भूओ वि मिच्छाओ ॥३८॥ सम्ममीसाणं मिच्छो सम्मो पढमाण होइ उव्वलगो। बंधावलियाउप्पि उदओ संकंतदलियस्स ॥३६॥ बावीसं बंधते मिच्छे सत्तोदयंमि अडवीसा। संतं छसत्तवीसा य होंति सेसेसु उदएसु ॥४०॥ सत्तरसबंधगे छोदयम्मि संतं इगट्ठ चउवीसा। सगति दुवीसा य सगट्ठगोदये नेयरिगिवीसा ॥४१।। देसाइसु चरिमुदए इगिवीसा वज्जियाइ संताई। सेसेसु होंति पंचवि तिसुवि अपुवंमि संततिगं ॥४२।। पंचाइबंधगेसू इगठ्ठचउवीसऽबंधगेगं च। तेरसबारेक्कारस य होंति पणबंधि खवगस्स ॥४३।। एगाहियाय बंधा चउबंधगमाइयाण संतंसा। बंधोदयाण विरमे जं संतं छुभइ अण्णत्थ ।।४४।। सत्तावीसे पल्लासंखंसो पोग्गलद्ध छब्बीसे। बे छावट्ठी अडचउवोसिगिवीसे उ तेत्तीसा ॥४५॥ अंतमुहुत्ता उ ठिई तमेव दुहओ विसेससंताणं । होइ अणाइ अणंतं अणाइ संतं च छन्वीसा ॥४६।। अपज्जत्तगजाई पज्जत्तगईहि पेरिया बहुसो। बंधं उदयं च उति सेसपगइउ नामस्स ॥४७॥ उदयप्पत्ताणुदओ पएसओ अणुवसंतपगईणं । अणुभागमो उ निच्चोदयाण सेसाण भइयन्वो ।।४।। अथिरासुभचउरंसं परघायदुगं तसाइ धुवबंधी। अजसपणिदि विउब्वाहारग सुभखगइ सुरगइया ।।४।। बंधइ तित्थनिमित्ता मणु उरलदुरिसभदेवजोगाओ। नो सुहुमतिगेण जसं नो अजसऽथिराऽसुभाहारे ॥५०॥
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