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पंचसंग्रह : १०
अणसम्मभयदुगंछाण गोदओ संभवेवि वा जम्हा | उदया चउवीसा विय एक्केक्कगुणे अओ बहूहा ||२५|| मिच्छे सगाइ चउरो सासणमीसे सगाइ तिण्णुदया | छप्पंचचउरपुव्वा चउरो तिअ अविरयाईणं ॥ २६ ॥ दसगाइसु चउवीसा एक्क छिक्कारदससग चउक्कं । एक्का य नवसयाइं सट्ठाई एवमुदयाणं ॥२७॥ बारस चउरो ति दु एक्कगाउ पंचाइबंधगे उदया । अब्बंध वि एक्को तेसीया नवसया एवं ||२८|| चउबंधगेवि बारस दुगोदया जाण तेहि छूढेहि । बंधगभेएवं पंचूण सहस्समुदयाणं ॥ २६ ॥
बारस दुगोदएहिं भंगा चउरो य संपराएहि । सेसा तेच्चिय भंगा नवसय छावत्तरा एवं ||३०||
मिच्छाइ अप्पमत्तंतयाण अट्ठट्ठ होंति उदयाणं चउवीसाओ सासाण - मीसअपुव्वाण चउ चउरो ||३१|| चउवसगुणा एए बायरसुहुमाण सत्तरस अण्णे | सज्वेसुवि मोहुदया पण्णसट्ठा बारससयाओ ||३२| उदयविगप्पा जे जे उदीरणाएवि होंति ते ते उ । अंतमुहुत्तिय उदया समयादारब्भ भंगा य ||३३|| मिच्छत्तं अणमीसं चउरो चउरो कसाय वा संमं । ठाइ अपुव्वे छक्कं वेयकसाया तओ लोभं ||३४|| अट्ठगसत्तगछक्कगचउतिगदुग एक्कगाहिया वीसा | तेरस बारेक्कारस संते पंचाई जा एक्कं ||३५|| अणमिच्छमीससम्माण अविरया अप्पमत्त जा खवगा । समयं अट्ठकसाए नपुं सइत्थी कमा छक्क |३६|| पुवेयं कोहाइ नियट्टि नासेर सुहुम तिण्णेगतिपण चउसु तेक्कारस चउति
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तणुलोभं । संताणि ||३७||
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