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________________ W ( . २६ ) प्रमत्तसंयत गुणस्थान में नामकर्म के उदयस्थान १४५ मिश्र गुणस्थान में नामकर्म के उदयस्थान १४५ अप्रमत्तसंयत गुणस्थान में नामकर्म के उदयस्थान १४६. अपूर्वकरण, अनिवृत्तिबादर संपराय, सूक्ष्म-संपराय, उपशांतमोह, क्षीणमोह गुणस्थान में नामकर्म के उदयस्थान १४६. सयोगि केवली, अयोगि केवली गुणस्थान में नामकर्म के उदयस्थान १४६ गाथा ७८ १४७-१४८ तिर्यंच और मनुष्यों में नामकर्म के उदयस्थानों का सामान्य कथन १४८ गाथा ७६, ८०, ८१ १४८-१५४ एकेन्द्रियों के नामकर्म के उदयस्थान और उनके भंग १४६ विकलत्रिकों के नामकर्म के उदयस्थान और उनके भंग गाथा ८२ १५४--- १५६ सामान्य से तिर्यंच और मनुष्यों के नामकर्म के उदयस्थान और उनके भंग १५५ सामान्य पंचेन्द्रिय तिर्यंच के नामकर्म के उदयस्थान और उनके भंग १५७ गाथा ८३ १५६-१६५ वैक्रिय शरीरी तिर्यंच, मनुष्य व आहारक शरीरी मनुष्य के नामकर्म सम्बन्धी उदयस्थान व उनके भंग १६० गाथा ८४ १६५-१६७ देवों के नामकर्म सम्बन्धी उदयस्थान व उनके भंग नारकों के नामकर्म के उदयस्थान व उनके भंग गाथा ८५, ८६, ८७ १६६-१७४ केवली भगवन्तों के नामकर्म सम्बन्धी उदयस्थान व उनके भंग १७०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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