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________________ गाथा ५६ मनुष्यादि गतियों में नाम कर्म के बंधयोग्य स्थान गाथा ५७ २७ } प्रत्येक गतियोग्य नाम कर्म के बंधस्थान गाथा ५८ मिथ्यात्व गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान सासादन गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान देशविरत और प्रमत्तसंयत गुणस्थान में नाम कर्म के बंध स्थान अप्रमत्तसंयत गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान अपूर्वकरण गुणस्थान में नाम कर्म के बंधस्थान अनिवृत्तिबादर, सूक्ष्मसंपराय गुणस्थान में नाम कर्म के बंध गाथा ५६, ६० एकेन्द्रिययोग्य नाम कर्म के बंधस्थान और उनके भंग स्थान नौवें, दसवें गुणस्थान में तीर्थंकर आहारकद्विक आदि जैसी पुण्य प्रकृतियों के बंध न होने का कारण गाथा ६१ द्वीन्द्रियादि योग्य नाम कर्म के बंधस्थान और उनके भंग गाथा ६२ मनुष्य गति योग्य नाम कर्म के बंधस्थान और उनके भंग नरकगति योग्य नाम कर्म के बंधस्थान और उनके भंग १०६ – १०८ १०६ - १०६ १०६ १०६ – ११४ गाथा ६३ देवगति योग्य नाम कर्म के बंधस्थान और उनके भंग Jain Education International १०८ For Private & Personal Use Only ११० ११० ११० १११ १११ ११२ ११२ ११२ ११२ ११४ – ११६ ११५ १२०-१२४ १२० १२४-१२६ १२४ १२६ १२७ – १२६ १२७ www.jainelibrary.org
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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