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श्री उत्तमचन्द जी तृतीय सुपुत्र हैं। ये भी पिताश्री के कार्यों में पूरा-पूरा योगदान देते हैं।
आपके चार पुत्रियाँ हैं जिनकी ससुराल मद्रास में ही है ।
आपका स्वयं का व्यक्तित्व ही आपका परिचय है। आपका निजी प्रभाव एवं ओज ही इतना प्रखर है कि आप जहाँ भी खड़े हो जाते हैं वहाँ हर समस्या आसानी से हल हो जाती है । धार्मिक साधना, सामायिक एवं दयादान आदि आपका नित्य का कार्यक्रम हैं । हजारों में स्पष्ट एवं निष्पक्ष भाव से बोलना, सत्य पर डट जाना आपकी विशेषता रही है। सचमुच में आप समाज के एक स्तम्भ हैं, धर्मनिष्ठ श्रावक एवं प्रतिभाशाली श्रीमंत हैं ।
वर्तमान में स्व० पूज्य गुरुदेव श्री मिश्रीपलजी म. सा. के शिष्य एवं आज्ञानुवर्ती मरुधरारत्न श्री रूपचन्दजी म. सा. 'रजत' एवं मरुधरा भुषण, पं० रत्न श्री सुकनमलजी म. सा. पर आपकी पूरी निष्ठा है और हर मौके पर आपकी उपस्थिति अनिवार्यत: रही है एवं उनके ही प्रशंसनीय मार्गदर्शन से कार्यरत हैं। ___ आध्यात्मिक क्षेत्र में आपकी रुचि बढ़ती रहे, समाज में आपका योगदान प्रगति लाये, आपकी भावी पीढ़ी आपका अनुसरण कर सोने में सुहागा भरे, आपकी आस्था, निष्ठा जीवन में और अधिक प्रकाश लाये, आप सदैव स्वस्थ एवं दीर्घायु हो यही हमारी हादिक मंगल कामना है ।
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