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पंचसंग्रह (E)
स्त्रीवेदोदय से श्रेणि-आरंभक की अपेक्षा
सर्वप्रथम नपुंसकवेद को, तत्पश्चात स्त्रीवेद को उपशमित करता है। उसके बाद समयानन्तर पुरुषवेद, हास्यषट्क की उपशमना का प्रारम्भ होता है और उसके बाद की शेष विधि पुरुषवेदवत् समझना चाहिये । नपुंसकवेदोदय से श्रेणि-आरंभक की अपेक्षा___ सर्वप्रथम नपुंसकवेद की उपशमना प्रारम्भ होती है, उसके बाद नपुंसक और स्त्रीवेद को उपशमित करता है, तदनन्तर स्त्रीवेद उपशान्त होता है और नपुंसकवेद की एक स्थिति अवशिष्ट रहती है। उसके बाद समयानन्तर नपुंसकवेद उपशमित हो जाता है। उसके बाद समयानन्तर पुरुषवेद हास्य षट्क की उपशमना प्रारम्भ होती है। शेष विधि पुरुषवेदवत् समझना चाहिये ।
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