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प्रकृति नाम | जघन्य उत्कृष्ट अजघन्य अनुत्कृष्ट
तिर्यंचमनुष्यायु
नीच गोत्र २
उच्चगोत्र
देवगति, नरकगति
तिर्यंचगति
२
मनुष्यगति
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उत्कृष्ट प्रदे. उदी. स्वा.
अष्ट वर्षायुष्क त्रिपल्योपमायुष्क आठवें वर्ष में प्रति सुखी क्रमशः वर्तमान अति तिर्यंच और मनुष्य दुःखी क्रमशः
तिर्यंच और
मनुष्य
चरम समय
वर्ती सयोगी
पंचसंग्रह : ८
संयमाभिमुख सर्वोत्कृष्ट चरम समयवर्ती अवि. सम्यक्त्वी
विशुद्ध क्षायिक सम्यक्त्वी
क्रमशः देव और नारक
जघन्य प्रदेशोदोरणा स्वा.
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संक्लिष्ट मिथ्या दृष्टि पर्याप्त संज्ञी
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सर्व विशुद्ध | सर्वोत्कृष्ट देशविरत संक्लिष्ट मिथ्या. पर्याप्त तिर्यंच
तिर्यंच
चरम समय- सर्वोत्कृष्ट वर्ती सयोगी संक्लिष्ट मिथ्या
दष्टि गर्भज पर्याप्त मनुष्य
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