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उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १५
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परिशिष्ट १५ प्रदेशोदीरणापेक्षा उत्तरप्रकृतियों की साद्यादि एवं स्वामित्व
प्ररूपणा दर्शक प्रारूप
-
उत्कृष्ट प्रदे. जघन्य प्रदेशोप्रकृति नाम | जघन्य उत्कृष्ट अजघन्य अनुत्कृष्ट वा दोरण स्वा.
अवधि बिना, २ । २ चार ज्ञानावरण, तीन दर्शनावरण, अंतराय पंचक
समयाधिक | सर्व पर्याप्ति से आवलिका | पर्याप्त अति शेष क्षीण | सक्लि. मिथ्या. मोही
दृष्टि
अवधि द्विकावरण
| अवधि लब्धि अवधि लब्धि
रहित, युक्त सर्व पर्याप्ति । समयाधिक से पर्याप्त अति
आव. शेष संक्लिष्ट मिथ्याक्षीणमोही | दृष्टि
निद्रा, प्रचला
२
२
२
२
उपशांत मोही
तत्प्रायोग्य संक्लि. मध्यम परिणामी | संज्ञी
स्त्याद्धित्रिक २
२
२
२
। तत्प्रायोग्य | विशुद्ध प्रमत्त
वेदनीयद्विक
२
.
२
२ २ अप्रमत्त भि- सर्व पर्याप्ति से
मुख प्रमत्त | पर्याप्त अति यति | संक्लिष्ट मिथ्या
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