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________________ उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट ७ परिशिष्ट : ७ ___ मूल प्रकृतियों का स्थिति उदीरणा प्रमाण एवं स्वामित्व प्रकृति नाम उत्कृष्ट स्थिति जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति जघन्य स्थिति स्वामित्व ज्ञानावरण आव. द्विकन्यून १ समय दर्शनावरण | ३० को. को. सागर | अति संक्लि. समयाधिक आव. शेष मिथ्या. | क्षीणमोही संज्ञी पर्याप्त वेदनीय जघन्य स्थिति वाला एकेन्द्रिय आव. द्विकन्यन साधिक ३० को. को. पल्यो. असंसागर भाग न्यून ३/७ सागर मोहनीय आव. द्विकन्यून १ समय ७० को. को. सागर समयाधिक आव. शेष क्षपक सूक्ष्म संपरायी आयु आवलिकान्यून | ३३ सागर । उत्कृष्टस्थिति| समयाधिक आव. शेष वाला भवाद्य आयुवाले सभी समयवर्ती देव, नारक नाम, गोत्र आव. द्विकन्यून अन्तर्मुहर्त अति.संक्लिष्ट चरम समयवर्ती | २० को. को. | मिथ्यात्वी सयोगि. सागर पर्याप्त संज्ञी अंतराय आव. द्विकन्यून १ समय ३० को. को. सागर समयाधिक आव. शेष क्षीणमोही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001905
Book TitlePanchsangraha Part 08
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages230
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size10 MB
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