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उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १
सेसाणं जह बंधे होइ विवागो उ पच्चओ दुविहो । भवपरिणामकओ वा निग्गुणसगुणाण परिणइओ ॥४६॥ उत्तरतणुपरिणामे अहिय अहोन्तावि होंति सुसरचुया। मिउलहु परघाउज्जोय खगइचउरंसपत्तेया ॥५०॥ सुभगाइ उच्चगोयं गुणपरिणामा उ देसमाईणं । अइहीणफड्डगाओ अणंतंसो नोकसायाणं ॥५१॥ जा जंमि भवे नियमा उदीरए ताउ भवनिमित्ताओ। परिणामपच्चयाओ सेसाओ सइ स सव्वत्थ ॥५२॥ तित्थयरं घाईणि य आसज्ज गुणं पहाणभावेण । भवपच्चइया सव्वा तहेव परिणामपच्चइया ॥५३॥ वेयणिएणुक्कोसा अजहण्णा मोहणीय चउभेया। सेसघाईणं तिविहा नामगोयाणणुक्कोसा ॥५४॥ सेसविगप्पा दुविहा सव्वे आउस्स होउमुवसन्तो। सव्वट्ठगओ साए उक्कोसुद्दीरणं कुणइ ॥५५।। कक्खडगुरुमिच्छाणं अजहण्णा मिउलहूणणुक्कोसा। चउहा साइयवज्जा वीसाए धुवोदयसुभाणं ॥५६॥ अजहण्णा असुभधुवोदयाण तिविहा भवे तिवीसाए। साईअधुवा सेसा सव्वे अधुवोदयाणं तु ॥५७।। दाणाइअचक्खूणं उक्कोसाइंमि हीणलद्धिस्स । सुहुमस्स चक्खुणो पुण तेइंदिय सव्वपज्जत्ते ॥८॥ निद्दाणं पंचण्हवि मज्झिमपरिणामसंकिलिट्ठस्स । पणनोकसायसाए नरए जेट्ठिति समत्तो ॥५६॥ पंचेन्दियतसवायरपज्जत्तगसायसुस्सरगईणं । वेउव्वुस्सासस्स य देवो जेट्ठिति समत्तो ॥६०॥
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