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परिशिष्ट : ६ ] प्रकृतिसंक्रम की अपेक्षा पतद्ग्रह प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा
पतद्ग्रह प्रकृतियां
सादि
६७ ध्रुवबंधिनी प्रकृ
तियां
अपने बंधविच्छेद के भव्यापेक्षा अनन्तर पुनः बंध होने पर
अध्रुवबंधिनी अध्रुवबंधिनी होने अध्रुवबंधिनी होने से
से
८४
प्रकृतियां
मिथ्यात्वमोह
पतग्रहत्व
चित्क होने से
कादा
अध्रुव
मिश्र. सम्यक्त्व मोह | कादाचित्क होने
पतद्ग्रहत्व कादाचित्क
होने से
कादाचित्क होने से
[ पंचसंग्रह भाग : ७
ध्रुव
अनादि
३१२
बंधविच्छेद स्थान को अभव्यापेक्षा प्राप्त नहीं करने वालों
की अपेक्षा