SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संक्रम आदि करणत्रय-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ८० १८५ करके, देयइ-वेदन की जाती है, जं-जो, एसो-यह, थिबुगसंकामोस्तिबुकसंक्रम। गाथार्थ-पिंड प्रकृतियों की उदयप्राप्त जो प्रकृति है, उसमें अनुदयप्राप्त प्रकृति संक्रामित करके वेदन की जाती है, यह स्तिबुकसंक्रम कहलाता है। विशेषार्थ-गति, जाति, शरीर, अंगोपांग, बंधन, संघातन, संहनन, संस्थान, वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, आनुपूर्वी और विहायोगति रूप चौदह पिंडप्रकृतियों में से प्रत्येक की उदय प्राप्त जो प्रकृति होती है, उसके समान काल वाली उदयस्थिति में जिस प्रकृति का उदय नहीं है, अनुदय है, उसको संक्रामित करके जो अनुभव किया जाता है, उसे स्तिबुकसंक्रम कहते हैं। जैसे उदयप्राप्त मनुष्यगति में शेष तीन गति के दलिकों को, उदयप्राप्त एकेन्द्रियजाति में शेष जाति के दलिकों को जो संक्रमित किया जाता है, यह स्तिबुकसंक्रम कहलाता है। प्रदेशोदय भी इसका अपरनाम है। दोनों समानार्थक ही हैं। सत्ता में असंख्य स्थितिस्थान होते हैं और वे क्रमशः अनुभव किये जाते हैं। एक साथ एक से अधिक स्थितिस्थान अनुभव नहीं किये जाते हैं। जिस कर्मप्रकृति के फल को अपने स्वरूप से साक्षात् अनुभव किया जाता है, उसके अनुभव किये जाते-उदय समय में जिसका अबाधाकाल बीत गया है, परन्तु स्वरूप से फल दे सके ऐसी स्थिति में नहीं है, वैसी प्रकृति का उदयसमय-उदयप्राप्त स्थितिस्थान जीव की किसी भी प्रकार की वीर्यप्रवृत्ति के बिना सहजभाव से संक्रमित होता है। जिससे ऊपर कहे गये 'समानकाल वाली उदयस्थिति में' पद का यह तात्पर्य हुआ कि संक्रमित होने वाली प्रकृति का उदयस्थान होना चाहिये एवं पतद्ग्रहप्रकृति का भी उदयस्थान होना चाहिये। उदयस्थान में उदयस्थान का संक्रमण होना । यहाँ उदयस्थान में उदयस्थान का संक्रमण होता है, जिससे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001904
Book TitlePanchsangraha Part 07
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages398
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy