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पूज्य गुरुदेव श्रमणसूर्य भारत की दिव्य विभूति नो मरुधरकेसरी मिश्रीमलजी महाराज के प्रति आपके समस्त परिवार की अनन्य भक्ति रही । दिनांक ४-७-१९७३ को आपका स्वर्गवास हो गया।
आपके पाँच सुपुत्र हैं(१) श्री सूरजमल जी, (२) श्री मदनलाल जी, (३) श्री सोहनलाल जी, (४) श्री सज्जनराजजी एवं (५) श्री जसवंतराज जी । और पाँच पुत्रियाँ हैं ।
आपके सभी पुत्र बड़े विनीत, सेवाभावी और गुरुभक्त हैं। समाज सेवा आदि शुभ कार्यों में सभी उदारता पूर्वक सहयोग देते हैं। कोप्पल एवं जेतारण दोनों ही क्षेत्रों में आपके परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा और सम्मान है।
प्रस्तुत 'पंच संग्रह' भाग ७ के प्रकाशन में भी आपकी स्मृति में आपके सुपुत्रों ने प्रकाशन सहयोग दिया है । संस्था आपके सहयोग के प्रति आभारी है।
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