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उत्तरप्रकृतियों के स्थितिसंक्रम के साद्यादि भंग
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अजघन्य
जघन्य
प्रकृतियाँ
अनुत्कृष्ट ___उत्कृष्ट सादि | अध्रुव सादि अध्रुव
सादि । अध्रुव । अनादि | ध्रुव
सादि । अध्रुव
चारित्र- ११वें भव्य मोहनीय गुण. से की २५ | गिरने | प्रकृतियां वाले के
उस । अभव्य स्व क्षय भव्य स्थान
काल में
उत्कृष्ट परा- अनुत्कृष्ट परासे, परा- वर्तमान से, परा- वर्तमान वर्तमान होने से वर्तमान होने से होने से होने से
को अप्राप्त
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अध्र व अध्र व | अध्र व x सत्ताका । सत्ता | सत्ता २८ प्रकृ- वाली | वाली । तियाँ होने से होने से
अध्र व अध्र व अध्र व अध्र व अध्र व | अध्र व सत्ता सत्ता | सत्ता । सत्ता सत्ता | सत्ता वाली वाली वाली वाली । वाली वाली होने से होने से होने से होने से होने से होने से
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पूर्वोक्त से शेष १०५ प्रकृतियां
भव्यों जघन्य अभव्य स्वक्षय | भव्य के क्षय स्थान
समय में होने से अप्राप्तों
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परा- | परा- परा- | परावर्तमान वर्तमान वर्तमान वर्तमान हाने से होने से होने से होने से
पंचसंग्रह : ७