SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३५ ) سه ११- अस कल्पना द्वारा अनुकृष्टि प्ररूपणा का स्पष्टीकरण २६४ १२- अपरावर्तमान ५५ अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप ३०३ १३-- अपरावर्तमान ४६ शुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप ३०६ १४-परावर्तमान २८ अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप ३०८ १५-परावर्तमान १६ शुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप ३१० १६– तिर्यंचद्विक और नीच गोत्र की अनुकृष्टि का प्रारूप ३१२ १७- त्रसचतुष्क की अनुकृष्टि का प्रारूप १८ - असत्कल्पना द्वारा तीव्रता-मंदता की स्थापना की रूपरेखा ३१५ १६- अपरावर्तमान ५५ अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता ३१६ २०- अपरावर्तमान ४६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता ३१६ २१- परावर्तमान १६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता २२-परावर्तमान २८ अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता ३२७ २३- त्रसचतुष्क की तीव्रता-मंदता २४- तिर्यंचद्विक और नीचगोत्र की तीव्रता-मंदता ३४० ३२१ .३३३ 00
SR No.001903
Book TitlePanchsangraha Part 06
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages394
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy