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________________ ( ३२ ) गाथा ८७-८८-८६ १८१-१८८ १८१ परावर्तमान शुभ-अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि सातावेदनीय की अनुकृष्टि असातावेदनीय की अनुकृष्टि स्थावरदशक आदि सत्ताईस प्रकृतियों की अनुकृष्टि अभव्यप्रायोग्य स्थितिबंध की विचारणा में विशेष कथन १८३ १८५ १८७ १८७ गाथा ६० १८८-१६० तिर्यंचद्विक और नीचगोत्र की अनुकृष्टि १८८ गाथा ६१ १६१-१६४ १६१ त्रसचतुष्क की अनुकृष्टि एवं कंडक स्वरूप बादर, पर्याप्त और प्रत्येक नामकर्म की अनुकृष्टि कंडक और निवर्तन कंडक शब्द का अभिप्राय १६४ १९४-१९८ १६४ गाथा ६२-६३-६४ अपरावर्तमान अशुभ शुभ प्रकृतियों की तीव्रमंदता गाथा ६५-६६-६७-६८ परावर्तमान अशुभ शुभ प्रकृतियों आदि की तीव्रमंदता सातावेदनीय की तीव्रमंदता नीचगोत्र आदि की तीवमंदता वसनाम की तीव्रमंदता स्थितिबंध प्ररूपणा स्थितिबंध प्ररूपणा के अधिकार १६८-२१० १६८ २०२ २०४ २०७ गाथा ६६-१०० स्थितिबंध का अल्पबहुत्व स्थितिबंध के अल्पबहुत्व का प्रारूप २१०-२१३ २१० २१४
SR No.001903
Book TitlePanchsangraha Part 06
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages394
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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