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________________ असत्कल्पना से योगस्थानों का स्पष्टीकरण : परिशिष्ट ५ . २७१ ७६ करोड़ ३ वीर्याविभाग वाले ३४० आत्म-प्रदेशों की तृतीय वर्गणा ७६ करोड ४ , ३३० , चतुर्थ वर्गणा १३८० इस प्रकार पांचवें स्पर्धक में १३८० आत्म-प्रदेशों की चार वर्गणाएँ । छठा स्पर्धक ७७ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले ३२० आत्म-प्रदेशों की प्रथम वर्गणा ७७ करोड़ २ ॥ ३१० द्वितीय वर्गणा ७७ करोड़ ३ , ३०० तृतीय वर्गणा ७७ करोड़ ४ चतुर्थ वर्गणा २६० १२२० इस प्रकार छठे स्पर्धक में १२२० आत्म-प्रदेशों की चार वर्गणाएँ । सातवां स्पर्धक ७८ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २८६ आत्म-प्रदेशों की प्रथम वर्गणा ७८ करोड़ २ ॥ २८८ ___ द्वितीय वर्गणा ७८ करोड़ ३ , २८७ , तृतीय वर्गणा ७८ करोड़ ४ , ___ चतुर्थ वर्गणा २८६ इस प्रकार सातवें स्पर्धक में ११५० आत्म-प्रदेशों की चार वर्गणाएँ । आठवां स्पर्धक ७९ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २८४ आत्म-प्रदेशों की प्रथम वर्गणा ७६ करोड़ २ , . २८३ द्वितीय वर्गणा ७६ करोड़ ३ , २८२ तृतीय वर्गणा ७६ करोड ४ ॥ २८१ चतुर्थ वर्गणा ११३०
SR No.001903
Book TitlePanchsangraha Part 06
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages394
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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