SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बंधनकरण - प्ररूपणा अधिकार : गाथा १८ और रूक्ष - शीत इनमें के कोई भी दो स्पर्श अनियत होने से कुल चार स्पर्श होते हैं । अर्थात् तैजसादि के प्रत्येक स्कन्ध में पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और उपर्युक्त चार स्पर्श 'चउफासा विसेसिया उवरि ' कुल सोलह गुण होते हैं । ६१ यद्यपि एक परमाणु में पांच वर्ण में से कोई एक वर्ण, दो गंध में से कोई एक गंध, पांच रस में से कोई एक रस और स्निग्ध, उष्ण रूक्ष और शीत इन चार स्पर्शों में से अविरुद्ध दो स्पर्श होते हैं, परन्तु समुदाय में एक परमाणु कोई वर्णादि युक्त, दूसरा परमाणु कोई वर्णादि युक्त होने से स्कन्ध में पांचों वर्ण, दो गंध, पांच रस और आठ स्पर्श होना शक्य है । परमाणु में अंतिम चार स्पर्शो में से अविरुद्ध दो स्पर्श कहने पर जिज्ञासु का प्रश्न है कि परमाणु के संयोग से स्कन्ध बनते हैं और जब परमाणु में अंतिम चार स्पर्शों में से अविरुद्ध दो स्पर्श होते हैं तो फिर औदारिकादि के स्कन्धों में आठ स्पर्श कैसे पाये जा सकते हैं ? तो इसके उत्तर में यह समझना चाहिये कि तिरोभाव से तो प्रत्येक परमाणु में सभी स्पर्श रूप से परिणत होने की शक्ति रही हुई है जो अमुक संख्या वाले परमाणुओं के स्कन्ध में आविर्भूत होती है किन्तु उसकी अपेक्षा संख्या में वृद्धि होने पर तथास्वभाव से वह आविर्भूत नहीं होती है, इसीलिये आहारकशरीर तक की वर्गणायें ग्रहण की हैं कि औदारिक, वैक्रिय और आहारक इन तीन शरीर प्रायोग्य वर्गणाओं में आठों स्पर्श एवं इनसे शेष रही वर्गणाओं में शीत उष्ण आदि अंतिम चार स्पर्श पाये जाते हैं । आठ स्पर्श वाली वर्गणायें गुरुलघु हैं अर्थात् उनके स्कन्धों में अमुक प्रमाण में वजन होता है और चार स्पर्श वाली वर्गणायें अगुरु- लघु कहलाती हैं । क्योंकि चाहे उनका कितना भी समूह एकत्रित हो जाये उनमें वजन नहीं होता है । औदारिकशरीरप्रायोग्य वर्गणायें वैक्रियशरीरप्रायोग्य आदि
SR No.001903
Book TitlePanchsangraha Part 06
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages394
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy