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पंचसंग्रह भाग ५ : परिशिष्ट ५
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इन सूक्ष्म उद्धार पल्योपम और सागरोपम से द्वीप एवं समुद्रों की गणना की जाती है । अढाई सूक्ष्म उद्धार सागरोपम अथवा पच्चीस कोटाकोटि सूक्ष्म उद्धार पल्योपम के जितने समय होते हैं, उतने ही द्वीप और समुद्र जानना चाहिए।'
(३) बावर अद्धा पल्योपम-सागरोपम-पूर्वोक्त बादर उद्धार पल्य से सौ-सौ वर्ष के बाद एक-एक बालाग्र निकालने पर जितने समय में वह पल्य खाली होता है, उतने समय को बादर अद्धा पल्योपम काल कहते हैं । दस कोटाकोटि बादर अद्धा पल्योपम काल का एक बादर अद्धा सागरोपम काल होता है।
(४) सूक्ष्म अद्धा पल्योपम-सागरोपम-यदि वही पल्य उपर्युः सूक्ष्म बालाग्र खंडों से भरा हो और उनमें से प्रत्येक बालाग्र खंड सौ-सौ वर्ष में निकाला जाये तो इस प्रकार निकालते-निकालते वह पल्य जितने काल में निःशेष रूप से खाली हो जाये, वह सूक्ष्म अद्धा पल्योपम है । अथवा पूर्वोक्त सूक्ष्म उद्धार पल्य में से सौ-सौ वर्ष के बाद केशाग्र का एक-एक खंड निकालने पर जितने समय में वह पल्य खाली हो, उतने समय को सूक्ष्म अद्धा पल्योपम काल कहते हैं । इसमें असंख्यात वर्ष कोटि परिमाण काल लगता है । ___दस कोटाकोटि सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का एक सूक्ष्म अद्धा सागरोपम काल होता है । दस कोटाकोटि सूक्ष्म अद्धा सागरोपम की एक अवसर्पिणी और उतने ही काल की एक उत्सर्पिणी होती है।
इन सूक्ष्म अद्धा पल्योपम और सूक्ष्म अद्धा सागरोपम के द्वारा देव, नारक, मनुष्य, तिर्यंच जीवों की आयु, कर्मों की स्थिति आदि जानी जाती है।
(५) बादर क्षेत्र पल्योपम-सागरोपम-पूर्वोक्त एक योजन लम्बे, चौड़े और गहरे गड्ढे में एक दिन से लेकर सात दिन तक के उगे हुए बालों के अग्रभाग को पहले बताई गई प्रक्रिया के अनुसार अच्छी तरह ठसाठस भर दो । वे अग्रभाग आकाश के जिन प्रदेशों को स्पर्श करें उनमें से प्रतिसमय
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अनुयोगद्वारसूत्र ।
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