SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 580
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचसंग्रह भाग ५ : परिशिष्ट ५ ३१ इस प्रकार के छह अंगुल का एक पाद (पैर), बारह अंगुल की एक वितस्ति ( बालिश्त ), चौबीस अंगुल का एक हाथ, अड़तालीस अंगुल की एक कुक्षी, छियानवे अंगुल का एक दंड धनुष, युग, नालिका, अक्ष अथवा मूसल उत्सेधांगुल - परमाणु दो प्रकार का है - निश्चय परमाणु और व्यवहार परमाणु । अनन्त निश्चय परमाणुओं का एक व्यवहार परमाणु होता है । यद्यपि यह व्यवहार परमाणु एक स्कन्ध ही है, परन्तु व्यवहार से इसे परमाणु कहने का कारण यह है कि यह इतना सूक्ष्म है कि सुतीक्ष्ण शस्त्र भी इसका छेदन - भेदन नहीं कर सकता है । यही उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णका आदि आगे की सभी संज्ञाओं का मूल कारण है । इन अनन्त व्यवहार परमाणुओं की एक उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका होती है । इन आठ उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णका की एक श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका होती है । इसके बाद का क्रम ऊपर बताया आ चुका है जो अंगुल पर्यन्त जानना चाहिए । प्रमाणांगुल - उत्सेधांगुल से अढाइगुणा विस्तार वाला और चार सौ गुणा लम्बा होता है । युग के आदि में भरत चक्रवर्ती का जो आत्मांगुल है, वही प्रमाणांगुल जानना चाहिए । - अनुयोगद्वारसूत्र, प्रवचनसारोद्धार द्रव्यलोकप्रकाश दिगम्बर साहित्य में अंगुलों का प्रमाण इस प्रकार बताया हैअनन्तानन्त सूक्ष्म परमाणुओं की एक उत्संज्ञा - संज्ञा, आठ उत्संज्ञासंज्ञा की एक संज्ञा-संज्ञा, आठ संज्ञा-संज्ञा का एक त्रुटिरेणु, आठ त्रुटिरेणु का एक त्रसरेणु आठ त्रसरेणु का एक रथरेणु, आठ रथरेणु का उत्तरकुरुदेवकुरु के मनुष्य का एक बालाग्र, उन आठ बालानों का रम्यक् और हरिवर्ष के मनुष्य का एक बालाग्र, उन आठ बालाग्रों का हैमवत और हैरण्यवत मनुष्य का एक बालाग्र और इसके बाद का कथन पूर्वोक्तवत् है । उत्सेधांगुल से पांच सौ गुणा प्रमाणांगुल है । यही भरत चक्रवर्ती का आत्मगुल है । — तत्त्वार्थराजवार्तिक के आधार से २ दोनों हाथ पसारने पर प्राप्त प्रमाण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001902
Book TitlePanchsangraha Part 05
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages616
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy