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गाथा १५१
४२७-४२८ मति-श्र त-अवधि-मनपर्याय ज्ञानावरण, चक्षु-अचक्षु
अवधि दर्शनावरण की जघन्य अनुभागसत्ता का स्वामित्व ४२७ गाथा १५२
४२८-४३० अनुभाग सत्तास्थान के भेद और उनके लक्षण
४२६ प्रदेश सत्कर्म प्ररूपणा के अर्थाधिकार
४३० गाया १५३
४३०-४३२ प्रदेशसत्कर्मापेक्षा मूल प्रकृतियों की सादि-अनादि प्ररूपणा
- ४३१ गाथा. १५४, १५५
४३२-४३५ ध्र वाध्र वसत्ताका उत्तर प्रकृतियों की साद्यादिप्ररूपणा
४३३ गाण १५६
सामान्य से उत्कृष्ट प्रदेश सत्कर्म स्वामित्व गाथा १५७
४३३-४३७ मिश्र सम्यक्त्व मोहनीय, नपुसक वेद की उत्कृष्ट
प्रदेश सत्ता के स्वामी गाथा १५८
स्त्रीवेद की उत्कृष्ट प्रदेश सत्ता का स्वामी गाथा १५६
पुरुषवेद एवं संज्वलनकषायचतुष्क की उत्कृष्ट
प्रदेश सत्ता के स्वामी गाथा १६०
यशःकीति, उच्चगोत्र, सातावेदनीय की उत्कृष्ट प्रदेश सत्ता के स्वामी
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