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________________ बंधविधि-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ६१ ३०७ चेष्टा-क्रिया, विचारपूर्वक क्रिया करने के कारण शेष जीवों की अपेक्षा अतिशय बलवती होती है। प्रबल चेष्टायुक्त वह जीव अधिक पुद्गलों को ग्रहण करता है तथा उसके साथ ही मनोलब्धि युक्त होने पर भी यदि अपनी भूमिका के अनुसार मंद-मंद योगस्थान वाला हो तो उत्कृष्ट प्रदेशबंध संभव नहीं है । यद्यपि संज्ञी अपर्याप्त के भी अपनी भूमिका के अनुसार उत्कृष्ट योग होता है। परन्तु उस उत्कृष्ट योग में उत्कृष्ट प्रदेशबंध नहीं हो सकने से वह भी यहाँ प्रयोजनभूत नहीं है, इसीलिए समस्त पर्याप्तियों से पर्याप्त इस विशेषण को ग्रहण किया है। साथ हो इन तीन विशेषणों से युक्त होने पर भी यदि बहुत सी मूल एवं उत्तर प्रकृतियों का बंधक हो तब भी उत्कृष्ट प्रदेशबंध नहीं हो सकेगा । क्योंकि दलिक अधिक भागों में विभाजित हो जायेंगे । अतः उत्कृष्ट प्रदेशबंध के स्वामित्व के विषय में सर्वत्र यह जानना चाहिये- 'अप्पतरपगइबंधे उक्कडजोगी सन्निपज्जत्तो कुणइ पएसुक्कोसं' अर्था। अल्पतर प्रकृति का बंधक उत्कृष्ट योग सम्पन्न संज्ञो पर्याप्तक जीव उत्कृष्ट प्रदेशबंध करता है। यानी इस तरह की योग्यता वाला जीव उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी है। उत्कृष्ट प्रदेशबंधक की योग्यता तो उक्त प्रकार की है और उस में निर्दिष्ट योग्यता से विपरीत योग्यता वाला जीव प्रायः जघन्य प्रदेशबंध के स्वामित्व का अधिकारी है। अर्थात् मनोलब्धि से हीन, जघन्य योगस्थान में वर्तमान, लब्धि-अपर्याप्त, बहुत सी मूल और उत्तर प्रकृतियों को बांधने वाला जीव जघन्य प्रदेशबंध का स्वामी है। __इस प्रकार से जघन्य प्रदेशबंधक की योग्यता का निर्देश करने के बाद अब पहले मूल प्रकृतियों के जघन्य प्रदेशबंध के स्वामित्व को बतलाते हैं। "मूलकर्मों का जघन्य प्रदेशबंधस्वामित्व आयु के बिना ज्ञानावरणादि सात मूल प्रकृतियों के जघन्य प्रदेशबंध का स्वामी उत्पत्ति के प्रथम समय में वर्तमान सबसे अल्पवीर्य वाला, लब्धि-अपर्याप्तक जीव है। उत्पत्ति के प्रथम समय के बजाय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001902
Book TitlePanchsangraha Part 05
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages616
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
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