________________
१७०
पंचसंग्रह : ४
१३. सयोगिकेवली गुणस्थान-यहाँ भी योग रूप बंधप्रत्यय होने से यहाँ पाये जाने वाले सात योगों में से कोई एक योगरूप एक ही बंधप्रत्यय होता है तथा योग का भी अभाव हो जाने से अयोगि केवली गुणस्थान में कोई भी बंधप्रत्यय नहीं होता है।
सूक्ष्मसंपराय आदि सयोगिकेवली पर्यन्त गुणस्थानों के बंधप्रत्ययों के भंग इस प्रकार हैं
सूक्ष्मसंपरायगुणस्थान में २Xax = १८ भंग होते हैं । उपशांत, क्षीण मोह गुणस्थान में १x६=६ भंग होते हैं। सयोगिके वलीगुणस्थान में १४७=७ भंग होते हैं ।
इस प्रकार तेरह गुणस्थानों में बंधप्रत्यय, विकल्प और उनके भंगों को जानना चाहिए।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org