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बंधहेतु - प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट
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इन सर्व भंगों का कुल जोड़ (१०८+७२+३६=२१६) दौ सौ सोलह है ।
अवेदभाग की अपेक्षा नोवें गुणस्थान में चारों संज्वलनों में से कोई एक कषाय तथा नौ योगों में से कोई एक योग, ये दो बंधप्रत्यय होते है । अथवा क्रोध को छोड़कर शेष तीन में से एक, मान को छोड़कर शेष दो में से एक और माया को छोड़कर केवल संज्वलन लोभ यह एक कषाय होती है। इस प्रकार एक संज्वलन कषाय और एक योग ये दो जघन्य बंधप्रत्यय होते हैं । इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है
१+१=२ ।
इनके भंग इस प्रकार जानना चाहिए४ X ६ = ३६ भंग होते हैं ।
३ X ६ = २७ भंग होते हैं ।
२x६ = १८ भंग होते हैं ।
१x६ = ६ भंग होते हैं ।
इस प्रकार दो बंध प्रत्यय सम्बन्धी सर्वभंगों का कुल जोड़ ( ३६+२७+ १८+६= ६० ) नब्वं होता है ।
तीन प्रत्यय सम्बन्धी २१६ और दो प्रत्यय सम्बन्धी ९० भंगों को मिलाने पर अनिवृत्तिबादरसंप रायगुणस्थान में ( २१६+६० = ३०६ ) तीन सौ छह भंग होते हैं ।
अब सूक्ष्म पराय आदि सयोगि केवलीगुणस्थान पर्यन्त के बंधप्रत्यय और उनके भंग बतलाते हैं ।
१०. सूक्ष्मसंप रायगुणस्थान - इस गुणस्थान में सूक्ष्म लोभ और नौ योगों में से कोई एक योग, ये दो बंधप्रत्यय होते हैं ।
११, १२. उपशांत मोह एवं क्षीणमोह गुणस्थान — इन दोनों गुणस्थानों में योग रूप बंधप्रत्यय होने से उत्तर प्रत्यय के रूप में नौ योगों में से कोई एक योग रूप एक ही बंधप्रत्यय होता है ।
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