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पंचसंग्रह : ४
अब नौ बंधप्रत्ययों सम्बन्धी भंगों को बतलाते हैंनौ बंधप्रत्यय के दो विकल्प हैं
(क) इन्द्रिय एक, काय दो, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक और योग एक, ये नौ बंधप्रत्यय होते हैं। इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है
१+२+२+१+२+१-६। (ख) इन्द्रिय एक, काय एक, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विक में से एक और योग एक, इस प्रकार नौ बंधप्रत्यय होते हैं । इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है
१+१+२+१+२+१+१=६। इन विकल्पों के भंग इस प्रकार हैं----- (क) ६४१०४४४३४२x६=१२६६० भंग होते हैं । (ख) ६४५४४४३x२x२x६=१२६६० भंग होते हैं ।
इन दोनों विकल्पों के कुल भंगों का जोड़ (१२९६० +-१२६६० = २५६२०) पच्चीस हजार नौ सौ बीस होता है ।
अब दस बंधप्रत्यय, उनके विकल्प और भंगों को बतलाते हैं। दस बंधप्रत्यय के तीन विकल्प हैं
(क) इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक और योग एक, ये दस बंधप्रत्यय होते हैं। इनका अंकों में रूप इस प्रकार है
१+३+२+१+२+१=१० । (ख) इन्द्रिय एक, काय दो, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विक में से एक और योग एक, ये दस बंधप्रत्यय होते हैं । इनकी अंकों में रचना इस प्रकार है
१+२+२+१+२+१+१=१०। (ग) इन्द्रिय एक, काय एक, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भय द्विक और योग एक, ये दस बंधप्रत्यय होते हैं। इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार हैFor Private & Personal Use Only
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